नयी दिल्ली, 30 मार्च (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) के लिए कड़े नियामकीय नियम लागू किए हैं। इनका संचालन करने वाली इकाइयों के लिए न्यूनतम नेटवर्थ की जरूरत को बढ़ाया गया है। साथ ही ऐसी योजनाओं का संचालन सिर्फ उन इकाइयों को करने की अनुमति दी जाएगी जिनका पिछला रिकॉर्ड अच्छा है।
सेबी के निदेशक मंडल की मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया। इसके अलावा नियामक ने प्रतिभूतियों के स्वामित्व के स्थानांतरण को सुगम करने के लिए सूचीबद्धता प्रतिबद्धताओं और खुलासा अनिवार्यता से संबंधित नियमनों में बदलाव की भी मंजूरी दी है।
साथ ही सेबी ने म्यूचुअल फंड के चांदी के एक्सचेंज ट्रेडेड कोष (ईटीएफ) के पास मौजूद चांदी या चांदी से संबद्ध उत्पादों के लिए संरक्षण (कस्टोडियल) सेवाएं प्रदान करने की अनुमति देने को पंजीकृत संरक्षकों (कस्टोडियन) के लिए नियमन में बदलाव को मंजूरी दी है।
निवेशकों को धन जुटाने की योजनाओं के जरिये चूना लगाने की घटनाओं के मद्देनजर सेबी ने सामूहिक निवेश प्रबंधन कंपनी (सीआईएमसी) और उसके समूह/सहायक/शेयरधारकों की किसी योजना में हिस्सेदारी को 10 प्रतिशत पर सीमित करने का फैसला किया है।
सेबी ने एक बयान में कहा कि इसके अलावा सामूहिक निवेश योजनाओं में सीआईएमसी और उसके अधिकृत कर्मचारियों का अनिवार्य निवेश सीआईएस के हितों के अनुरूप होना चाहिए।
नियामक ने कहा कि इन योजनाओं के संचालन के लिए नेटवर्थ की जरूरत को बढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही सीआईएमसी के पंजीकरण के लिए संबद्ध क्षेत्र में पात्रता को पुराना रिकॉर्ड अच्छा होना चाहिए।
सेबी ने कहा कि अन्य चीजों के अलावा निवेशकों की न्यूनतम संख्या और एकल निवेशक की अधिकतम हिस्सेदारी तथा सीआईएस के स्तर पर न्यूनतम अभिदान राशि को अनिवार्य किया जाएगा।
भाषा मानसी अजय रमण
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