नयी दिल्ली, 21 फरवरी (भाषा) उद्योग संगठन एसईए (सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) ने सोमवार को अपने सदस्यों से अपील की कि उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए वे तत्काल प्रभाव से खाद्यतेल के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में 3-5 रुपये की कमी करें। वैश्विक घटनाक्रमों की वजह से घरेलू खाद्य तेल की कीमतों में कमी का कोई संकेत नहीं आने की बात कहते हुए संगठन ने यह अपील की।
यह दूसरा मौका है जब उद्योग निकाय एसईए ने अपने सदस्यों से एमआरपी में कटौती करने का अनुरोध किया है। पिछली बार, इसने अपने सदस्यों को नवंबर 2021 में दिवाली के आसपास खाद्य तेलों के एमआरपी में 3-5 रुपये प्रति किलोग्राम की कमी करने के लिए कहा था।
भारत अपने खाद्य तेलों की 60 प्रतिशत से अधिक की मांग को आयात के माध्यम से पूरा करता है। भारत ने खाद्यतेलों की खुदरा कीमतों पर अंकुश रखने के लिए पिछले कुछ महीनों में पाम तेल पर आयात शुल्क घटाने, स्टॉक सीमा लागू करने जैसे विभिन्न कदम उठाये थे।
सरकार के इन सक्रिय प्रयासों के बावजूद, अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमतें एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में अधिक बनी हुई हैं।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने एक बयान में कहा, ‘इन कीमतों में नरमी के कोई तत्काल संकेत नहीं दिख रहे हैं और इंडोनेशिया जैसे कुछ निर्यातक देशों ने भी लाइसेंस के जरिए पाम तेल के निर्यात को विनियमित करना शुरू कर दिया है।’
वैश्विक खाद्य तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं और यह ‘आयातित मुद्रास्फीति’ न केवल सभी अंशधारकों बल्कि भारतीय उपभोक्ताओं को भी परेशान कर रही है।
इसके अलावा, रूस और यूक्रेन के बीच काला सागर क्षेत्र में तनाव उस क्षेत्र से आने वाले सूरजमुखी तेल के लिए आग में घी डालने का काम कर रहा है। ला नीना के कारण ब्राजील में खराब मौसम ने भी लैटिन अमेरिका में सोया की फसल को काफी कम कर दिया है।
इस वैश्विक स्थिति को देखते हुए, एसईए ने कहा कि हालांकि इसके सदस्य खाद्य तेलों की सुचारू आपूर्ति श्रृंखला बनाए रखने के लिए जूझ रहे हैं, वे सरकार के सक्रिय निर्णयों के साथ जुड़े हुए हैं।
एसईए ने कहा कि उसने ‘अपने सदस्यों से अनुरोध किया है और उन्हें सलाह दी है कि कीमतों में नरमी के लिए तत्काल प्रभाव से खाद्य तेलों के खुदरा मूल्य में 3,000 रुपये से 5,000 रुपये प्रति टन (3 से 5 रुपये प्रति किलोग्राम) की कमी करें।’
उद्योग संगठन ने यह भी उल्लेख किया कि घरेलू सरसों की फसल काफी बेहतर है और यह चालू वर्ष के दौरान रिकॉर्ड फसल की उम्मीद की जा रही है जिससे उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिल सकती है। इसके अलावा, सरकार नई सरसों की फसल बाजार में आने से पहले कीमतों को नरम करने के लिए त्वरित कदम उठाने में सक्रिय रही है। कच्चे पाम तेल (सीपीओ) पर आयात शुल्क में हाल ही में 2.5 प्रतिशत की कमी इसका एक उदाहरण है।
एसईए ने कहा, ‘हमारे एसईए सदस्यों के इस छोटे से होली उपहार से हमारे उपभोक्ताओं को राहत मिलने और त्यौहार में कुछ रंग जोड़ने में मदद मिलेगी।’
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा रखे जाने वाले आंकड़ों के अनुसार, मूंगफली तेल (पैक) का औसत खुदरा मूल्य 20 फरवरी को 177.75 रुपये प्रति किलोग्राम था, जो एक साल पहले की अवधि में 164.55 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक था।
इसी तरह, सरसों तेल (पैकबंद) का खुदरा मूल्य इस साल 20 फरवरी को 187.03 रुपये प्रति किलोग्राम था, जबकि 2021 के समान दिन में 145.02 रुपये प्रति किलोग्राम था, जबकि सोया तेल (पैकबंद) का खुदरा मूल्य 147.36 रुपये प्रति किलोग्राम था जो पिछले साल इसी समय 126.03 रुपये प्रति किलो था।
आंकड़ों से पता चलता है कि सूरजमुखी तेल की खुदरा कीमत भी 144.22 रुपये प्रति किलोग्राम के मुकाबले 161.75 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है, जबकि पाम तेल की कीमत 130.53 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जबकि पिछले साल इसी दौरान यह 113.89 रुपये प्रति किलोग्राम थी।
भाषा राजेश राजेश रमण
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