नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) मेघालय में वैज्ञानिक कोयला खनन शुरू होने के बाद ढुलाई की भी औपचारिक शुरुआत हो गई है। यह पूर्वोत्तर में नियंत्रित, पर्यावरण-अनुकूल एवं पारदर्शी खनन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
कोयला मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि मेघालय के दो कोयला ब्लॉक में खनन गतिविधियां सभी पर्यावरणीय मानकों और सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए संचालित की जा रही हैं।
इन ब्लॉक में सारिंगखाम-ए (पूर्व जयंतिया हिल्स) और पिंडेंगशाहलांग (पश्चिम खासी हिल्स) शामिल हैं। सारिंगखाम-ए ब्लॉक में तीन जून और पिंडेंगशाहलांग ब्लॉक में पांच जून से खनन कार्य शुरू हो गया है।
विज्ञप्ति के मुताबिक, सारिंगखाम-ए खान से निकाले गए कोयले की पहली खेप 30 जुलाई को बरनिहाट से बिहार एवं उत्तर प्रदेश के लिए रवाना की गई। पारंपरिक खासी राजा की मौजूदगी में दो ट्रकों में भेजा गया यह कोयला सभी वैध दस्तावेजों के साथ रवाना किया गया।
मेघालय में अवैध खनन और ‘गुंडा टैक्स’ जैसी समस्याओं पर अंकुश लगाने के लिए अब तक वैज्ञानिक खनन के 12 नए पट्टे दिए जा चुके हैं।
यह महत्वपूर्ण कदम केंद्र सरकार, मेघालय सरकार और कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की अगुवाई में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप लिए गए वैज्ञानिक कोयला खनन समझौतों के बाद संभव हो पाया है।
कोयला मंत्रालय ने कहा कि अन्य कोयला ब्लॉक को भी जल्द मंजूरी दी जाएगी और इस मॉडल को पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में लागू किया जाएगा।
मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने मेघालय से उत्खनित कोयले की आपूर्ति शुरू होने को राज्य के लिए ‘ऐतिहासिक दिन’ बताते हुए कहा कि 10-11 वर्षों के खनन प्रतिबंध से प्रभावित समुदायों को अब आर्थिक राहत मिलेगी।
उन्होंने केंद्र एवं राज्य सरकारों, कोल इंडिया और सभी हितधारकों को बधाई देने के साथ भरोसा दिलाया कि वैज्ञानिक खनन से रोजगार, पारदर्शिता और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
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