नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात विनिर्माता कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) अपने संयंत्रों की क्षमता बढ़ाने के लिए चालू वित्त वर्ष में 7,500 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय करने की योजना बना रही है। यह पिछले वित्त वर्ष (2024-25) की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी इस्पात कंपनी सेल विस्तार के दौर से गुजर रही है और लगभग एक लाख करोड़ रुपये के परिव्यय से ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में फैले अपने पांच एकीकृत संयंत्रों (आईएसपी) की संयुक्त दो करोड़ टन क्षमता को बढ़ाकर 2030 तक 3.5 करोड़ टन करने के लिए काम कर रही है।
सेल के निदेशक (वित्त) अशोक कुमार पांडा ने कंपनी की निवेश योजनाओं पर एक सवाल के जवाब में पीटीआई-भाषा से कहा, “…पिछले साल पूंजीगत व्यय लगभग 6,000 करोड़ रुपये था। इस साल, हमने पूरे साल के लिए 7,500 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है, जो कि एक बड़ा लक्ष्य है।”
कंपनी के निदेशक मंडल ने पूंजीगत व्यय को पहले ही मंजूरी दे दी है और सेल को भरोसा है कि वह इसे चालू वित्त वर्ष के अंत तक पूरा कर लेगी। उन्होंने बताया कि अप्रैल-जून तिमाही में सेल पहले ही 1,642 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है, जो पहली तिमाही के लिए निर्धारित लक्ष्य से कहीं ज़्यादा है।
विस्तार योजना का विवरण साझा करते हुए, पांडा ने बताया कि इस्को इस्पात संयंत्र (पश्चिम बंगाल) में निविदा प्रक्रिया चल रही है, जहां 45 लाख टन प्रति वर्ष की क्षमता का विस्तार करने की योजना है। इस संयंत्र की वर्तमान क्षमता 25 लाख टन है।
दुर्गापुर इस्पात संयंत्र (डीएसपी) में, उत्पादन को वर्तमान के 22 लाख टन सालाना से बढ़ाकर 30.9 लाख टन करने के लिए एक पुरानी विस्तार योजना पर काम चल रहा है, साथ ही एक नई योजना का विस्तार भी चल रहा है। अन्य संयंत्रों के लिए, विस्तार योजनाओं पर विचार किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी), झारखंड में बोकारो इस्पात संयंत्र और ओडिशा में राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) के विस्तार की योजनाओं पर इसके अनुसार काम किया जा रहा है।
भाषा अनुराग अजय
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