नयी दिल्ली, 23 अप्रैल (भाषा) उद्योग संगठन इंडियन स्टील एसोसिएशन (आईएसए) ने बुधवार को कहा कि आयातित ‘फ्लैट’ इस्पात उत्पादों पर 12 प्रतिशत अस्थायी रक्षोपाय शुल्क लगाने के सरकार के फैसले से ‘मुख्य रूप से चीन, दक्षिण कोरिया और जापान से होने वाले सस्ते आयात’ को रोकने में मदद मिलेगी।
उद्योग निकाय के अनुसार, इन देशों ने अकेले वित्त वर्ष 2024-25 में कुल आयात में लगभग 78 प्रतिशत का योगदान दिया।
आईएसए ने बयान में कहा, “इस रक्षोपाय शुल्क का उद्देश्य मुख्य रूप से चीन, दक्षिण कोरिया और जापान से सस्ते इस्पात के आयात पर अंकुश लगाना है।”
इसके अलावा, आईएसए ने कहा कि भारत लगातार दूसरे वर्ष तैयार इस्पात का शुद्ध आयातक बन गया है और इसका आयात 2024-25 में नौ साल के उच्च स्तर 95 लाख टन पर पहुंच गया है।
आईएसए ने कहा कि व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने दिसंबर, 2024 में शुरू की गई जांच के बाद इस शुल्क की सिफारिश की है।
जांच से पता चला कि गैर-मिश्र धातु और मिश्र धातु इस्पात के ‘फ्लैट’ उत्पादों के आयात में तीव्र वृद्धि से घरेलू उत्पादकों को काफी नुकसान हो रहा है।
बयान में आईएसए के अध्यक्ष नवीन जिंदल के हवाले से कहा गया, “हम इस्पात के ‘फ्लैट’ उत्पादों पर 12 प्रतिशत रक्षोपाय शुल्क लगाने के सरकार के निर्णायक कदम के लिए आभारी हैं। यह बहुत बढ़ते आयात को रोकने के लिए बहुत जरूरी है। यह समर्थन निवेशकों को आत्मनिर्भर भारत के लिए 2030 तक 30 करोड़ टन की क्षमता निर्माण के लिए नए जोश के साथ ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगा और विकसित भारत के लिए आधारशिला रखेगा।”
सरकार ने सोमवार को घरेलू उत्पादकों को आयात में वृद्धि से बचाने के लिए हॉट रोल्ड कॉयल, इस्पात चादर और प्लेट सहित पांच इस्पात उत्पाद श्रेणियों पर 200 दिनों के लिए 12 प्रतिशत अस्थायी रक्षोपाय शुल्क लगा दिया।
वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई डीजीटीआर की सिफारिश के बाद यह फैसला लिया गया है। पिछले महीने डीजीटीआर ने शुल्क लगाने का सुझाव दिया था।
भाषा अनुराग रमण
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