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Tuesday, 7 May, 2024
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रूस की पाबंदी से गेल को नहीं हो पायी एलएनजी की आपूर्ति: गैजप्रोम की पूर्व इकाई

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नयी दिल्ली, नौ अप्रैल (भाषा) रूस की प्रमुख ऊर्जा कंपनी गैजप्रॉम की एक पूर्व इकाई ने कहा है कि मॉस्को के प्रतिबंधों के कारण आपूर्ति के स्रोतों में बाधाएं उत्पन्न हुईं और इससे वह भारतीय गैस कंपनी गेल को आपूर्ति नहीं कर पायी।

गेल ने पिछले साल दिसंबर में मध्यस्थता न्यायाधिकरण लंदन कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन के समक्ष एक मध्यस्थता दावा दायर किया था। इसमें दीर्घकालिक अनुबंध के तहत एलएनजी की आपूर्ति नहीं होने को लेकर एसईएफई से 1.8 अरब डॉलर की मांग की गयी है।

गेल ने पिछले सप्ताह शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि एसईएफई ने मध्यस्थता न्यायाधिकरण के समक्ष अपने बचाव में दिये गये बयान में कथित तौर पर अनुबंधात्मक रूप से सीमित राशि के अलावा कुछ भी बकाया होने की बात से इनकार किया था।

गेल ने 2012 में रूस की प्रमुख ऊर्जा कंपनी गैजप्रॉम के साथ प्रतिवर्ष 28.5 लाख टन तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) खरीदने के लिए 20 साल के समझौते पर हस्ताक्षर किये।

यह सौदा गाजप्रोम मार्केटिंग एंड सिंगापुर (जीएमटीएस) के साथ किया गया था। उस समय यह गैजप्रोम जर्मेनिया की एक इकाई थी, जिसे अब एसईएफई कहा जाता है।

रूस के 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद एसईएफई का स्वामित्व बदल गया।

एसईएफई ने चूक की परिस्थितियों को स्पष्ट करते हुए कहा कि अप्रैल, 2022 में गैजप्रॉम ने जर्मन कंपनी को मॉस्को डीजे में स्थानांतरित कर दिया, जिसके पास विदेशी व्यापार को लेकर लाइसेंस नहीं था।

इस हस्तांतरण के बाद, नये शेयरधारक ने गैजप्रोम जर्मेनिया के परिसमापन का आदेश दिया। 11 मई, 2022 को अनिश्चितता बढ़ गई। जर्मन संघीय नेटवर्क एजेंसी की ट्रस्टीशिप के तहत रूस ने गैजप्रॉम जर्मेनिया पर पाबंदी लगा दी। गैजप्रोम जर्मेनिया जर्मनी में एकमात्र ऊर्जा आपूर्तिकर्ता थी और इस तरह से उसे निशाना बनाया गया।

इसका मतलब यह हुआ कि कंपनी को रूस से कोई एलएनजी आपूर्ति नहीं हो पायी और इसलिए उसने जून, 2022 में भारतीय कंपनी को एलएनजी की आपूर्ति बंद कर दी।

गेल ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि यह अनुबंध एक ‘पोर्टफोलियो’ अनुबंध था और आपूर्ति को किसी भी तरह से नहीं रोका जा सकता था। इसने एसईएफई मार्केटिंग एंड ट्रेडिंग सिंगापुर पीटीई लिमिटेड (तत्कालीन गैजप्रॉम मार्केटिंग एंड ट्रेडिंग सिंगापुर पीटीई लिमिटेड) पर मुकदमा दायर किया है और 1.817 अरब डॉलर तक क्षतिपूर्ति और गैर-मौद्रिक राहत सहित वैकल्पिक राहत की मांग की है।

इसमें कहा गया है कि पूंजी कटौती के बाद, एसईएफई 14 नवंबर, 2022 को जर्मनी की 100 प्रतिशत राज्य-स्वामित्व वाली इकाई बन गयी।

एसईएफई ने पिछले साल मार्च में गेल को आपूर्ति फिर से शुरू की।

दोनों इकाइयों के बीच 2012 में हुए समझौते के तहत आपूर्ति 2018 में शुरू हुई और पूरी मात्रा 2023 में आनी थी।

भाषा रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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