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नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को कहा कि भारत एवं यूरेशियाई आर्थिक संघ (ईएईयू) के बीच तरजीही व्यापार समझौते पर जल्दी हस्ताक्षर होने से वस्तुओं, सेवाओं और पूंजी के प्रवाह में बाधाएं कम करने में मदद मिलेगी।
भारत और ईएईयू ने पिछले सप्ताह इस मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर पहले दौर की बातचीत की थी।
ईएईयू के पांच सदस्य देशों- रूस, आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान एवं किर्गिजस्तान के साथ भारत ने 20 अगस्त को समझौते के लिए नियमों एवं शर्तों को अंतिम रूप दिया था।
भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए पुतिन ने यहां भारत-रूस व्यापार मंच को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2030 तक दोनों देशों के बीच 100 अरब डॉलर के व्यापार का लक्ष्य निर्धारित किया है।
उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए दोनों देशों के कारोबारी समुदायों की सक्रिय भागीदारी जरूरी है।
फिलहाल दोनों देशों के बीच व्यापार का आकार लगभग 70 अरब डॉलर है।
पुतिन ने कहा कि दोनों क्षेत्रों के लिए वस्तुओं, सेवाओं और पूंजी के प्रवाह के लिए बाधाएं कम करना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ‘इस संदर्भ में ऐसा प्रतीत होता है कि भारत और यूरेशियाई आर्थिक संघ के बीच प्राथमिक व्यापार समझौते पर जल्द हस्ताक्षर से एक मजबूत प्रोत्साहन दिया जा सकता है।’
पुतिन ने कहा कि रूसी प्रतिनिधिमंडल केवल ऊर्जा मुद्दों पर चर्चा करने नहीं बल्कि तेल और गैस आपूर्ति के अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने के लिए भी यहां है।
उन्होंने कहा कि रूसी कंपनियां भारत से उत्पादों और सेवाओं की खरीद में कई गुना वृद्धि करने के लिए तैयार हैं।
पुतिन ने यह भी कहा कि मजबूत द्विपक्षीय निपटान और भरोसेमंद भुगतान एवं बीमा व्यवस्था के बगैर मुक्त व्यापार के बारे में सोचना भी असंभव है।
उन्होंने राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग से होने वाले लाभों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाहरी घटनाओं के बावजूद वित्तीय लेनदेन अविरल बनाए रखना आवश्यक है।
पुतिन ने कहा कि भारत-रूस सहयोग केवल व्यापार तक सीमित नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘हमें अपने औद्योगिक सहयोग को भी बढ़ाना चाहिए। हम कृत्रिम मेधा (एआई) के क्षेत्र में व्यापक सहयोग के लिए तैयार हैं, जहां पर हमारे देश पहले ही बहुत उन्नत हैं।’
इससे पहले पुतिन और मोदी ने शिखर स्तर की वार्ता की जिसमें द्विपक्षीय हित से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की गई।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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