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शनिवार, 7 जून, 2025
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ग्रामीण रोजगार को मिलेगी रेशम से चमक, इस वर्ष 7500 समूहों को रेशम उत्पादन से जोड़ेगी सरकार

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लखनऊ, 23 अप्रैल (भाषा) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिए चालू वित्त वर्ष (2025-26) की वार्षिक कार्ययोजना में 7,500 समूह सदस्यों को रेशम उत्पादन से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।

एक बयान के मुताबिक, यह पहल ग्रामीण रोजगार सृजन और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

रेशम उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 15 जिलों में सघन रूप से कार्यान्वयन सुनिश्चित करने की रणनीति बनाई है। इन जिलों में प्रशिक्षण, आधुनिक तकनीक और वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि रेशम किसानों और उत्पादकों को वैश्विक बाजार के लिए प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।

उप्र सरकार का यह प्रयास पारंपरिक उद्योग को नई तकनीक और नवाचार के साथ जोड़ने के लिए है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा। रेशम उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन एवं रेशम विभाग के बीच पहले ही समझौता पत्र (एमओयू) हस्ताक्षर किया जा चुका है।

इस समझौते के तहत अगले पांच वर्षों में 5,000 महिला समूहों की 50,000 सदस्यों को रेशम उत्पादन एवं उद्योग से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

बयान के मुताबिक, उप्र सरकार ने इस योजना को ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को सशक्त करने के लिए प्राथमिकता दी है। रेशम उत्पादन से जुड़े समूहों को बीज, उपकरण और विपणन सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी। यह कदम ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) योजना के तहत भी रेशम उत्पादन को बढ़ावा देने में सहायक होगा, जिससे प्रदेश के पारंपरिक कारीगरों को नई पहचान मिलेगी।

प्रदेश में रेशम का वार्षिक उत्पादन 400 टन है, जबकि खपत 3,500 टन तक पहुंच चुकी है। सबसे अधिक रेशम की मांग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में है, जहां इसे मुख्यमंत्री की ओडीओपी योजना के तहत भी शामिल किया गया है।

राज्य को रेशम उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इस वर्ष ‘मुख्यमंत्री रेशम विकास योजना’ प्रारंभ की गई है। पिछले आठ वर्षों में रेशम के निर्यात में 28 गुना वृद्धि हुई है। यह योजना प्रदेश में रेशम उत्पादन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सहायक होगी।

रेशम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, अब तक 1,050 महिला समूहों को रेशम उत्पादन से जोड़ा जा चुका है। प्रत्येक ब्लॉक में ‘रेशम सखियों’ और ब्लॉक मिशन प्रबंधकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रेशम उत्पादन, धागा निर्माण, कपड़ा बुनाई और तैयार उत्पादों की बिक्री में दक्षता प्रदान करने के लिए तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।

भाषा जफर नोमान अनुराग

अनुराग

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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