मुंबई, छह नवंबर (भाषा) प्रमुख विदेशी प्रतिद्वंद्वी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के कमजोर होने और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बृहस्पतिवार को रुपया, अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले सात पैसे बढ़कर 88.63 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि घरेलू शेयर बाजारों में सुस्त कारोबारी धारणा और विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी ने रुपये की तेज बढ़त को रोक दिया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में, रुपया 88.51 पर खुला और इसने डॉलर के मुकाबले 88.49 के उच्चस्तर को छुआ। यह 88.66 के दिन के निचले स्तर तक भी आया। सत्र के अंत में यह 88.63 प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो अपने पिछले बंद स्तर से सात पैसे अधिक है।
मंगलवार को घरेलू मुद्रा सात पैसे की बढ़त के साथ 88.70 प्रति डॉलर पर बंद हुई थी। बुधवार को ‘गुरु नानक जयंती’ के कारण विदेशी मुद्रा बाजार बंद थे।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और वैश्विक जोखिम धारणा में सुधार के कारण आज भारतीय रुपये में कुछ मजबूती आई। हालांकि, डॉलर की आयातक मांग ने इस तीव्र बढ़त को सीमित कर दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि आयातक मांग और कमजोर घरेलू बाजारों के कारण भारतीय रुपया थोड़े नकारात्मक रुख के साथ कारोबार करेगा। हालांकि, कच्चे तेल की कमजोर कीमतें निचले स्तर पर रुपये को सहारा दे सकती हैं। हमें उम्मीद है कि डॉलर-रुपया 88.40-88.85 के दायरे में कारोबार करेगा।’’
एलकेपी सिक्योरिटीज के जिंस एवं मुद्रा के उपाध्यक्ष-शोध विश्लेषक जतिन त्रिवेदी ने कहा कि डॉलर सूचकांक में कमजोरी से रुपये को सहारा मिला। हालाकि, ‘‘लगातार विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली ने रुपये की तेजी की गति को सीमित कर दिया, जिससे घरेलू मुद्रा पर हल्का दबाव बना रहा।’’
त्रिवेदी ने कहा, ‘‘बाजार प्रतिभागियों का ध्यान अब इस सप्ताह जारी होने वाले प्रमुख अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों पर है, जिनमें आईएसएम विनिर्माण और गैर-विनिर्माण पीएमआई शामिल हैं, जो डॉलर की चाल और वैश्विक जोखिम धारणा को प्रभावित कर सकते हैं। निकट भविष्य में रुपये के सीमित दायरे में रहने की उम्मीद है, जिसका कारोबारी दायरा 88.40-88.90 के बीच रहने की संभावना है।’’
बृहस्पतिवार को जारी एक मासिक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत के सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर अक्टूबर में पांच महीनों में सबसे धीमी रही, क्योंकि प्रतिस्पर्धी दबाव और देश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश के कारण उत्पादन में धीमी वृद्धि हुई।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स 0.23 प्रतिशत गिरकर 99.83 रह गया।
वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 1.10 प्रतिशत बढ़कर 64.22 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
घरेलू शेयर बाजारों में, सेंसेक्स 148.14 अंक की गिरावट के साथ 83,311.01 अंक पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 87.95 अंक गिरकर 25,509.70 अंक पर आ गया।
एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। उन्होंने बुधवार को 3,263.21 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।
भाषा राजेश राजेश अजय
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