मुंबई, 14 मई (भाषा) घरेलू शेयर बाजारों में तेजी और सकारात्मक वृहद आर्थिक आंकड़ों के समर्थन से रुपया बुधवार को शुरुआती कारोबार में 31 पैसे मजबूत होकर 85.05 प्रति डॉलर पर पहुंच गया।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से रुपये पर दबाव पड़ सकता है। पिछले कुछ सत्रों में ब्रेंट क्रूड की कीमतें 66 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गई हैं, जिससे भारत का व्यापार घाटा बढ़ सकता है।
इसके अलावा, विदेशी पूंजी की निकासी ने भी घरेलू मुद्रा की बढ़त को कुछ हद तक सीमित किया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया, डॉलर के मुकाबले 85.05 पर खुला जो पिछले बंद भाव से 31 पैसे की बढ़त दर्शाता है। शुरुआती कारोबार में यह डॉलर के मुकाबले 85.23 पर भी पहुंचा था।
रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.36 पर स्थिर रहा था।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.05 प्रतिशत की गिरावट के साथ 100.95 पर रहा।
घरेलू शेयर बाजार में बीएसई सेंसेक्स 250.80 अंक की बढ़त के साथ 81,399.02 अंक पर जबकि निफ्टी 58.45 अंक चढ़कर 24,636.80 अंक पर रहा।
अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.54 प्रतिशत की गिरावट के साथ 66.27 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) मंगलवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 476.86 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
गौरतलब है कि सब्जियों, फलों एवं दालों की कीमतों में नरमी आने से अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति की दर घटकर करीब छह साल के निचले स्तर 3.16 प्रतिशत पर आ गई। इससे भारतीय रिजर्व बैंक के लिए जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में एक और कटौती की पर्याप्त गुंजाइश बन गई है।
मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति 3.16 प्रतिशत रही, जो जुलाई, 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है। जुलाई, 2019 में यह 3.15 प्रतिशत थी।
मार्च, 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति 3.34 प्रतिशत और अप्रैल, 2024 में 4.83 प्रतिशत थी।
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