मुंबई, 13 अक्टूबर (भाषा) अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया शुक्रवार को दो पैसे की गिरावट के साथ 83.26 (अस्थायी) पर बंद हुआ। विदेशी बाजारों में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और घरेलू शेयर बाजार में गिरावट के रुख के कारण अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनियम बाजार में रुपये में गिरावट आई।
बाजार सूत्रों ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति और औद्योगिक उत्पादन के सकारात्मक आंकड़ें स्थानीय मुद्रा में तेजी लाने में विफल रहे। इसका कारण डॉलर के मजबूत रहने और विदेशी संस्थागत निवेशकों की पूंजी बाजार से धन निकासी के कारण रुपये पर दवाब रहा।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनियम बाजार में रुपया 83.25 प्रति डॉलर पर खुला। डॉलर के मुकाबले एक सीमित दायरे में कारोबार के बाद रुपया अंत में दो पैसे की गिरावट के साथ 83.26 (अस्थायी) पर बंद हुआ। इस तरह रुपये ने पिछले बंद भाव के मुकाबले दो पैसे की गिरावट दर्ज की।
बृहस्पतिवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत की खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में घटकर तीन महीने के निचले स्तर 5.02 प्रतिशत रह गई, जबकि अगस्त में औद्योगिक उत्पादन 14 महीने के उच्चतम स्तर 10.4 प्रतिशत पर पहुंच गया।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.07 प्रतिशत घटकर 106.52 रह गया।
विश्लेषकों ने कहा कि अमेरिकी में मुद्रास्फीति अनुमान से थोड़ा अधिक होने के बाद डॉलर सूचकांक 106 से ऊपर बना हुआ है, जिससे अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में और बढ़ोतरी की संभावना बढ़ गयी है।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 2.97 प्रतिशत की भारी तेजी के साथ 88.55 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था।
बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स बुधवार को 125.65 अंक की गिरावट के साथ 66,282.74 अंक पर बंद हुआ।
विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने पिछले कारोबारी सत्र में 1,862.57 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
भाषा राजेश राजेश रमण
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