मुंबई, 21 नवंबर (भाषा) अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपये में शुक्रवार को 93 पैसे की बड़ी गिरावट आई और यह 89 के स्तर को पार कर अबतक के सबसे निचले स्तर 89.61 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। पिछले तीन महीने में रुपये में एक दिन में यह सबसे बड़ी गिरावट है।
व्यापार-संबंधी अनिश्चितताओं के बीच घरेलू और वैश्विक बाजारों से मिले नकारात्मक संकेतों के साथ रुपये की विनिमय दर में बड़ी गिरावट आई है।
विदेशी मुद्रा विश्लेषकों के अनुसार, जोखिम से बचने की धारणा के बीच वैश्विक आईटी शेयरों में भारी बिकवाली और प्रस्तावित भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर स्पष्टता के अभाव के कारण रुपया लुढ़का है।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 88.67 पर खुला और कारोबार के दौरान अबतक के सबसे निचले स्तर 89.65 पर पहुंच गया। रुपया आखिरकार कारोबार के अंत में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 89.61 (अस्थायी) पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से 93 पैसे की गिरावट है।
बृहस्पतिवार को रुपया 20 पैसे फिसलकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 88.68 पर बंद हुआ था।
रुपया ने कारोबार के दौरान अपना पिछला अब तक का सबसे निचला स्तर 30 सितंबर को 88.85 पर दर्ज किया था। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पिछला सबसे निचला बंद स्तर 14 अक्टूबर को 88.81 पर रहा था।
इससे पहले भारतीय मुद्रा में इतनी तेज गिरावट 30 जुलाई को दर्ज की थी। उस समय यह कारोबार के दौरान 89 पैसे लुढ़क गया था।
मेहता इक्विटीज लि. के उपाध्यक्ष (जिंस) राहुल कलंत्री ने कहा, ‘‘ कमजोर वैश्विक जोखिम धारणा और अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता के चलते शुक्रवार को रुपया, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अबतक के सबसे निचले स्तर पर आ गया।’’
उन्होंने कहा कि अमेरिका में उम्मीद से बेहतर गैर-कृषि पेरोल आंकड़ों के साथ ब्याज दर में कटौती की उम्मीद कम होने तथा मजबूत डॉलर सूचकांक के साथ रुपये पर और दबाव पड़ा।
कलंत्री ने कहा, ‘‘इस गिरावट के साथ रुपया एशिया की प्रमुख मुद्राओं में सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वालों में शामिल हो गया है…। हमारा अनुमान है कि रुपये की विनिमय दर आगे कमजोर होकर 90.40 और 91 के स्तर तक जा सकती है।’’
भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्रीय बैंक रुपये के किसी विशेष स्तर को लक्ष्य नहीं बनाता है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा शुल्क लगाए जाने के बाद उत्पन्न व्यापार अनिश्चितताओं के कारण घरेलू मुद्रा में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले हाल में गिरावट आई है।
मल्होत्रा ने राष्ट्रीय राजधानी में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘हम किसी विशेष स्तर को लक्ष्य नहीं बनाते। रुपये का मूल्य क्यों घट रहा है? इसका कारण मांग है। यह बाजार तय करते हैं… रुपया एक वित्तीय साधन है और डॉलर की मांग होती है। अगर डॉलर की मांग बढ़ती है तो रुपया कमजोर होता है और अगर रुपये की मांग बढ़ती है तो डॉलर गिरता है और रुपया मजबूत होता है।’
भाषा योगेश रमण
रमण
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
