नयी दिल्ली, 28 फरवरी (भाषा) नीति आयोग की वरिष्ठ सलाहकार अन्ना रॉय ने सोमवार को कहा कि वित्तीय क्षेत्र में कृत्रिम मेधा (एआई) के बढ़ते उपयोग के साथ नीति निर्माताओं को इस बात को लेकर अधिक ध्यान रखने की जरूरत है कि नियामकीय रूपरेखा नवप्रवर्तन को बाधित नहीं करे।
उद्योग मंडल फिक्की के ‘भारतीय वित्तीय सेवाओं में एआई-सामने आती जमीनी सचाई’ विषय पर ‘ऑनलाइन’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रॉय ने कहा कि सरकार पेंशन और बीमा क्षेत्र के साथ-साथ उपभोक्ताओं के लाभ और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का दायरा बढ़ाने के लिये कृत्रिम मेधा के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘नीति निर्माताओं और नियामकों के रूप में हमें इस बात को लेकर अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है कि नियमन या नियामकीय रूपरेखा नवप्रवर्तन को प्रभावित नहीं करनी चाहिए….और इसके लिये जरूरी है कि हर कोई अलग-अलग काम करने के बजाय साथ मिलकर काम करे।’’
रॉय ने कहा कि डिजिटल अंतर, डिजिटल शिक्षा के साथ-साथ साइबर सुरक्षा संबंधित मुद्दों और वित्तीय सेवाओं में एआई के उपयोग के बहुत गुंजाइश है।
उन्होंने नीति और नियमों में पारदर्शिता पर जोर देते हुए कहा कि सरकार किसी भी नीति का मसौदा तैयार करते समय परामर्श का तरीका अपनाती है।
रॉय ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि नीति निर्माण में इस प्रकार की पारदर्शिता अत्यंत महत्वपूर्ण है और सभी संबंधित पक्षों को समान लक्ष्य की दिशा में मिलकर काम करने की आवश्यकता है।’’
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रमण अजय
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