नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) देश में 2022-2027 के दौरान बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए 14.54 लाख करोड़ रुपये के कोष की आवश्यकता है। इसमें 2027 से 2032 में चालू होने वाली परियोजनाओं के लिए व्यय भी शामिल है।
बिजली मंत्रालय ने बयान में कहा कि 2026-27 के लिए अखिल भारतीय स्तर पर अनुमानित विद्युत ऊर्जा आवश्यकता और अधिकतम बिजली मांग क्रमशः 1908 अरब यूनिट और 277 गीगावाट अनुमानित है।
ये अनुमान मंगलवार शाम विद्युत मंत्रालय से संबंधित संसदीय सलाहकार समिति की बैठक के दौरान व्यक्त किए गए। केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल ने बैठक की अध्यक्षता की थी।
बयान में कहा गया, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) द्वारा प्रकाशित 20वें बिजली सर्वेक्षण (ईपीएस) रिपोर्ट के अनुसार 2031-32 तक अधिकतम मांग और ऊर्जा आवश्यकता करीब 366 गीगावाट और 2474 अरब यूनिट रहने का अनुमान है।
राष्ट्रीय विद्युत योजना (एनईपी) के लक्ष्यों को प्राप्त करने में ऊर्जा भंडारण क्षमता एक महत्वपूर्ण पहलू है। 2026-27 तक 16.13 गीगावॉट ऊर्जा भंडारण क्षमता की आवश्यकता है। इसमें 7.45 गीगावॉट क्षमता के पीएसपी (पंप स्टोरेज) और 8.68 गीगावाट बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) शामिल है।
इसमें कहा गया, कुल क्षमता वृद्धि के अनुमान देश के 2029-30 तक 500 गीगावाट की हरित ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लक्ष्य के अनुरूप हैं।
मंत्रालय ने कहा कि 2022-2027 की अवधि के लिए कुल निधि की आवश्यकता 14,54,188 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जिसमें 2027-32 के दौरान चालू होने वाली परियोजनाओं के लिए अग्रिम कार्रवाई के लिए 2022-27 के बीच संभावित व्यय भी शामिल है।
सांसदों ने विभिन्न पहलों तथा योजनाओं के बारे में कई सुझाव दिए। उन्होंने महत्वाकांक्षी हरित ऊर्जा लक्ष्यों और बिजली उत्पादन क्षमता में उपलब्धियों के लिए योजना की सराहना भी की।
बैठक में भंडारण, नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन और किसानों के मुआवजे से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सांसदों द्वारा दिए गए सुझावों को शामिल करने के लिए उचित कदम उठायें तथा लोगों के हित को प्राथमिकता दें।
केंद्रीय मंत्री ने सभी के लिए सस्ती और विश्वसनीय बिजली सुनिश्चित करने के लिए भंडारण क्षमता बढ़ाने के महत्व पर भी बल दिया।
भाषा निहारिका रमण
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