(ललित के झा)
वाशिंगटन, 11 मार्च (भाषा) अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलिना जॉर्जीवा ने कहा है कि भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था का प्रबंधन बहुत अच्छी तरह किया है लेकिन यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियान के बाद वैश्विक ऊर्जा कीमतों में वृद्धि का भारत की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
आईएमएफ प्रमुख ने ‘यूक्रेन पर रूस के हमले और इसके वैश्विक प्रभाव’ विषय पर बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था पर सबसे अधिक असर ऊर्जा कीमतों के रूप में पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भारत ऊर्जा का बड़ा आयातक है और इसकी कीमतों में वृद्धि का उस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
हालांकि उन्होंने कहा कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था का प्रबंधन करने में अच्छा रहा है और चुनौती का सामना करने के लिए उसके पास वित्त के रूप में कुछ गुंजाइश मौजूद है।
आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि यूक्रेन पर रूसी हमले के परिणाम पूरी दुनिया को भुगतने होंगे। उन्होंने कहा कि यूरोप में जो कुछ हुआ है वैसा ‘‘सोचा भी नहीं जा सकता था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘युद्ध का यूक्रेन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है, रूस में भी उल्लेखनीय संकुचन देखने को मिला है। हमारे विश्व आर्थिक परिदृश्य पर भी इसका असर होगा, अगले महीने हम वृद्धि अनुमानों को घटाएंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘युद्ध के कारण जिंसों की कीमतें बढ़ेंगी, वास्तविक आय घटेगी जिसके लिए कुछ हद तक मुद्रास्फीति भी जिम्मेदार है और अंतत: युद्ध का असर वित्तीय परिस्थितियों और कारोबारी विश्वास पर भी पड़ेगा।’’
इस अवसर पर आईएमएफ की पहली उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा कि इस युद्ध के कारण भारत समेत दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के समक्ष चुनौती आ खड़ी हुई है।
गोपीनाथ ने कहा, ‘‘भारत की ऊर्जा आयात पर बहुत अधिक निर्भरता है और वैश्विक ऊर्जा कीमतें बढ़ रही हैं। इसका असर भारतीय लोगों की खरीद क्षमता पर पड़ रहा है। भारत में मुद्रास्फीति करीब छह फीसदी है जो भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक मुद्रास्फीति के लिहाज से ऊंचा स्तर है।’’
उन्होंने कहा कि इसका भारत की मौद्रिक नीति पर असर पड़ेगा और यह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई हिस्सों के लिए चुनौती है।
भाषा मानसी प्रेम
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