नई दिल्ली: भारत में आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में ट्वीट करके हलचल मचा देने वाली अंतरराष्ट्रीय पॉप स्टार रिहाना अब अपने कास्मेटिक ब्रांड ‘फेंटी ब्यूटी’ को लेकर जांच के घेरे में आ गई हैं.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) इस कास्मेटिक ब्रांड में भारत में खराब परिस्थितियों में बाल श्रमिकों से काम कराने वाली खदानों का माइका इस्तेमाल किए जाने की जांच कर रहा है.
एनसीपीसीआर के चेयरमैन प्रियांक कानूनगो ने दिप्रिंट को बताया कि वे मामले को देख रहे हैं और ‘जो जरूरी होगा,वो करेंगे.’ एनजीओ लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी (एलआरओ)की तरफ से शुक्रवार एनसीपीसीआर के समक्ष शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद यह मामला सामने आया है.
इस शिकायत, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास मौजूद है, में कहा गया है, ‘रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिकी पॉप स्टार रिहाना के ब्यूटी प्रोडक्ट ‘फेंटी ब्यूटी’ में झारखंड की ब्लड माइका का इस्तेमाल किया जाता है जहां बाल श्रमिक गंभीर हालात में काम करते हैं.’
इसमें कहा गया है, ‘यह सुनिश्चित करने के लिए माइका बाल श्रम से मुक्त है, प्रमाणपत्र देने वाली एजेंसियां हैं.लेकिन मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि फेंटी ब्यूटी के पास दोनों में से किसी का सप्लाई चेन क्लीयरेंस सर्टिफिकेशन (एससीसीसी) नहीं है.’
एलआरओ ने मामले की जांच की मांग करते हुए कहा, ‘इस पत्र के साथ हम आपसे यह पता लगाने का अनुरोध करना चाहते हैं कि क्या फेंटी ब्यूटी गैर-प्रमाणित माइका का इस्तेमाल कर रही है और यदि सच है तो कृपया कंपनी और उसके मालिकों के खिलाफ उचित दंडात्मक कार्रवाई शुरू करें.’कानूनगो ने कहा कि एनसीपीसीआर ने उद्योग निकाय, रिस्पॉन्सिबल माइका इनीशिएटिव (आरएमआई) से जवाब और स्पष्टीकरण मांगा है.
उन्होंने कहा, ‘हमें आरएमआई की तरफ से ईमेल पर जवाब मिला है कि फेंटी ब्यूटी को माइका उपलब्ध कराने वाली सप्लाई चेन इस संगठन में पंजीकृत नहीं है.’ यह पूछे जाने पर कि क्या रिहाना को नोटिस भेजा गया है, एनसीपीसीआर के अध्यक्ष ने कहा, ‘हमने अभी तक कोई नोटिस नहीं भेजा है. हम मामले पर गौर कर रहे हैं. बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए जो भी आवश्यक हो, हम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. अभी तक, हमें सिर्फ हमारे सवाल पर आरएमआई से यह लिखित प्रतिक्रिया मिली है.’
दिप्रिंट ने इस मामले पर टिप्पणी के लिए ईमेल के जरिये फेंटी ब्यूटी की पीआर एजेंसी से संपर्क साधा है. उसकी तरफ से जवाब मिलने पर यह रिपोर्ट अपडेट की जाएगी.
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आरएमआई क्या है?
आरएमआई भारत में पूरी जिम्मेदारी के साथ और सतत तरीके से ऐसी माइक सप्लाई चेन चलाना सुनिश्चित करने के लिए एक वैश्विक गठबंधन है जो कि बाल श्रम से पूरी तरह मुक्त हो. ‘अपने सदस्यों के लिए माइका सप्लाई चेन की मैपिंग और माइका के खनन और प्रोसेसिंग के लिए कार्यस्थल मानक’ बनाना इसके प्रमुख कार्यों में से एक है.
आरएमआई की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार,‘सदस्यों को अपने उत्पादों के संबंध में भारत में माइका के निर्यातकों, प्रोसेसरऔर खानों के स्रोत की मैपिंग करनी होगी.’ इसके मुताबिक, ‘हर सदस्य की सप्लाई चेन में शामिल प्रतिभागी को कार्यस्थल के वातावरण, स्वास्थ्य,सुरक्षाऔर श्रम के स्पष्ट तरीकों को अपनाना चाहिए जिसमें बाल श्रम के इस्तेमाल पर रोकशामिल है.’
आरएमआई के अनुसार, भारत दुनियाभर में माइका का सबसे बड़ा स्रोत है, इस खनिज का इस्तेमाल तमाम उद्योगों में किया जाता है. पूर्वी भारतीय राज्यों बिहार और झारखंड में इसका बड़े पैमाने पर खनन किया जाता है, जहां कई कारणों से श्रम स्थितियां बेहद खराब हैं, जिसमें बाल श्रम का उपयोग भी शामिल है.
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(लेखक दिल्ली स्थित थिंक टैंक विचार विनिमयकेंद्र के शोध निदेशक हैं. उन्होंने आरएसएस पर दो किताबें लिखी हैं.)
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