नई दिल्ली: भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गई. गुरुवार को सरकारी आंकड़ों में इसका खुलासा हुआ. खासतौर से ईंधन और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों की वजह से खुदरा मुद्रास्फीति में तेजी आई है. इस साल मार्च में खुदरा महंगाई दर 6.95 फीसदी थी और अप्रैल 2021 में यह 4.23 फीसदी थी.
रिपोर्ट के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति लगातार चौथे महीने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की अपर टोलरेंस लिमिट से काफी ऊपर रही.
अप्रैल में, सीपीआई मुद्रास्फीति सितंबर 2014 के बाद से अपने सबसे उच्च स्तर पर है.
कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) द्वारा ट्रैक की गई खुदरा मुद्रास्फीति खुदरा खरीदार के दृष्टिकोण से कीमतों में बदलाव को मापती है.
वहीं, फूड बास्केट में मुद्रास्फीति अप्रैल में बढ़कर 8.38 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने में 7.68 प्रतिशत और एक साल पहले इसी महीने में 1.96 प्रतिशत थी.
खाद्य मुद्रास्फीति, जो सीपीआई बास्केट का लगभग आधा हिस्सा है, अप्रैल में कई महीनों के उच्च स्तर पर पहुंच गई और वैश्विक स्तर पर सब्जी और खाना पकाने के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से उच्च स्तर पर बनी रह सकती है.
सरकार द्वारा आरबीआई को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था कि मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत पर बनी रहे और दोनों तरफ 2 प्रतिशत का अंतर रहे.
जनवरी 2022 से खुदरा मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है.
इसी दौरान सरकारी आंकड़ों की मानें तो मार्च में औद्योगिक उत्पादन 1.9 प्रतिशत और वित्तीय वर्ष 2021-22 में 11.3 प्रतिशत बढ़ा है.
गौरतलब है कि इसी साल 4 मई को बढ़ती महंगाई के कारण आरबीआई को चार साल में पहली बार अपनी रेपो रेट में बढ़ोतरी करनी पड़ी थी. इस महीने की शुरुआत में एक बैठक में इसे 40 आधार अंकों (बीपीएस) से बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया गया था.
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