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Saturday, 4 May, 2024
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टमाटर और सब्जियों की बढ़ी कीमत तो तीन महीने में उच्चतम स्तर पर पहुंची खुदरा महंगाई दर

सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक महंगाई मई महीने के 4.31% के मुकाबले जून में खुदरा महंगाई 4.81 प्रतिशत पर पहुंच गई.

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नई दिल्ली: सीपीआई आधारित खुदरा महंगाई दर जून महीने में पिछले तीन महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. खाद्य उत्पादों की कीमतें बढ़ने से जून में खुदरा महंगाई बढ़कर तीन महीनों के उच्चतम स्तर 4.81 प्रतिशत पर पहुंच गई है.

सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) महंगाई मई महीने के 4.31% के मुकाबले जून में खुदरा महंगाई 4.81 प्रतिशत पर पहुंच गई. जून महीने में शहरी महंगाई दर 4.33% से बढ़कर 4.96% जबकि ग्रामीण महंगाई दर 4.23% से बढ़कर 4.72% पर पहुंच गई है. इस महीने खाद्य महंगाई दर 2.96% से बढ़कर 4.49% रही.

सरकार ने बुधवार को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए. मई में खुदरा मुद्रास्फीति 4.31 प्रतिशत रही थी जबकि साल भर पहले जून, 2022 में यह सात प्रतिशत थी.

बता दें कि पिछले एक महीने से जिस तरह से सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी हुई है उसे देखते हुए इस महंगाई का सबसे बड़ा कारण सब्जियों को बताया जा रहा है.

महंगाई में हुई इस वृद्धि को आंशिक रूप से पूरे भारत में टमाटर की कीमतों में मौजूदा उछाल के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. टमाटर की कीमतों में वृद्धि पूरे देश में दर्ज की गई है, न कि केवल किसी विशेष क्षेत्र या भूगोल तक सीमित है. प्रमुख शहरों में यह बढ़कर 150-160 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई.

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देश भर में टमाटर की कीमतों में तेज उछाल के बीच, केंद्र सरकार ने बुधवार को अपनी एजेंसियों – NAFED और NCCF को निर्देश दिया कि वे आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों से इसे तुरंत खरीदें.
हालांकि सब्जियों, मांस और मछली के अलावा; अंडे; दालें और उत्पाद; मसाला सूचकांकों में भी तेजी देखी गई.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जून में खाद्य उत्पादों की मुद्रास्फीति 4.49 प्रतिशत रही जबकि मई में यह 2.96 प्रतिशत थी. सीपीआई में खाद्य उत्पादों का भारांक लगभग आधा होता है.

जून में खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़ने के बावजूद यह भारतीय रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर के नीचे है.

सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत तक सीमित रखने का दायित्व सौंपा हुआ है. रिजर्व बैंक खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े को ध्यान में रखते हुए द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा करता है.

रिजर्व बैंक ने पिछले महीने की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा था. इसके साथ ही उसने अप्रैल-जून तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 4.6 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया था.


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