scorecardresearch
Saturday, 16 November, 2024
होमदेशअर्थजगतरिजर्व बैंक की प्राथमिकताओं में बदलाव, अब वृद्धि के बजाय मुद्रास्फीति पर जोर

रिजर्व बैंक की प्राथमिकताओं में बदलाव, अब वृद्धि के बजाय मुद्रास्फीति पर जोर

Text Size:

मुंबई, आठ अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि करीब तीन साल तक आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने की कोशिशों के बाद केंद्रीय बैंक बढ़ती मुद्रास्फीति से जुड़े दबावों से निपटने के लिए अपनी नीतिगत प्राथमिकताओं में बदलाव करने जा रहा है।

दास ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि आरबीआई का रुख अब भी उदार बना हुआ है लेकिन अब कोरोना काल में प्रभावी रहीं सरल नीतियों को वापस लेने पर जोर रहेगा।

उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में देखी जा रही वृद्धि की आशंकाओं के बीच रिजर्व बैंक महामारी के दो वर्षों में अपनाए गए बेहद नरम मौद्रिक नीतिगत रुख को वापस लेगा। उन्होंने कहा, ‘‘अब समय आ गया है जब केंद्रीय बैंक को अपनी प्राथमिकता वृद्धि के बजाय मुद्रास्फीति के प्रबंधन की तरफ केंद्रित करनी होगी।’’

रिजर्व बैंक के मिंट रोड स्थित मुख्यालय पर फरवरी, 2020 के बाद पहली बार ऑफलाइन तरीके से मीडिया को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि मौद्रिक नीति की प्राथमिकताओं में वृद्धि पर मुद्रास्फीति प्रबंधन को तरजीह देने का यह उपयुक्त समय है। इस रुख में तीन साल बाद बदलाव हो रहा है। चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान में की गई बढ़ोतरी इसका संकेत देती है। इसके लिए उन्होंने खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे हालात को जिम्मेदार ठहराया।

दास ने कहा, ‘‘प्राथमिकताओं की बात करें तो हमने अब वृद्धि पर मुद्रास्फीति को तरजीह दी है। पहले स्थान पर मुद्रास्फीति है, फिर वृद्धि का नंबर आता है। फरवरी, 2019 से लेकर पिछले तीन साल में हमने मुद्रास्फीति पर वृद्धि को ही अहमियत दी थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इस बार हमने प्राथमिकताओं में बदलाव किए हैं। हमें लगा कि यह इसके लिए उपयुक्त समय है और ऐसा किए जाने की जरूरत भी है।’’

इस संवाददाता सम्मेलन से पहले रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया है। वहीं सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के अनुमान को 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया गया है।

गवर्नर ने कहा कि यू्क्रेन युद्ध की वजह से कच्चे तेल, खाद्य तेल और अन्य जिंसों के दाम बढ़े हैं, जिससे केंद्रीय बैंक को अपने मूल्य परिदृश्य को ऊपर की ओर संशोधित करना पड़ा है।

कोविड महामारी के गहरे असर से वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 6.6 प्रतिशत की गिरावट आई थी लेकिन हाल ही में समाप्त वित्त वर्ष 2021-22 में इसके 8.9 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।

मुद्रास्फीति के ऊपरी स्तर में किसी तरह की रियायत दिए जाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर दास ने कहा कि सही समय आने पर आरबीआई हर जरूरी कदम उठाएगा। लगातार तीन तिमाहियों से मुद्रास्फीति आरबीआई के ऊपरी दायरे से भी अधिक बनी हुई है।

गवर्नर ने कहा कि मुद्रास्फीति लक्ष्य की गणना करते समय पेट्रोलियम उत्पादों की मौजूदा खुदरा कीमतों को ध्यान में रखा गया है।

इस अवसर पर मौद्रिक नीति के प्रभारी डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि बदलते हुए हालात में मुद्रास्फीति के खासकर जोखिम वाली स्थिति में होने से हम अपने अधिक नरम रुख को वापस लेना चाहते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक के पास अब भी उदार रुख कायम रखने की गुंजाइश बची हुई है।

भाषा प्रेम अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments