मुंबई, छह अप्रैल (भाषा) दो महीने पर होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक बुधवार को शुरू हुई।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने के बीच ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि केंद्रीय बैंक नीतिगत दर को यथावत रख सकता है लेकिन अपने रुख में बदलाव कर सकता है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली एमपीसी की यह चालू वित्त वर्ष की पहली बैठक है। बैठक छह से आठ अप्रैल तक चलेगी। बैठक के निष्कर्ष की घोषणा आठ अप्रैल को की जाएगी।
एमपीसी ने पिछली 10 बैठकों में नीतिगत दर यानी रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और साथ ही उदार रुख को बरकरार रखा है।
इससे पहले, रेपो दर में 22 मई, 2020 को कटौती की गयी थी। उसके बाद से यह रिकॉर्ड चार प्रतिशत के निचले स्तर पर बनी हुई है।
रेपो दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंको को फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये कर्ज देता है।
उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष प्रदीप मुलतानी ने बुधवार को कहा कि अर्थव्यवस्था अभी पुनरुद्धार प्रक्रिया में है। ऐसे में आर्थिक बुनियाद को सुदृढ़ करने के लिये उदार रुख बनाये रखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘हाल के भू-राजनीतिक संकट के कारण हालांकि मुद्रास्फीति बढ़ी है, लेकिन नीतिगत दर को यथावत बनाये रखने से अर्थव्यवस्था को बाहरी झटकों से पार पाने में मदद मिलेगी।’’
रूस-यूक्रेन युद्ध और कच्चे तेल के दाम में तेजी से जिंसों की लागत बढ़ी है। इससे महंगाई दर बढ़ी है।
सरकार ने केंद्रीय बैंक को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।
भाषा
रमण अजय
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