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Sunday, 17 November, 2024
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रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा, 2024-25 में वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान

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मुंबई, पांच अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार सातवीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। महंगाई को चार प्रतिशत पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है।

इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने 2024-25 के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के सात प्रतिशत पर रहने के अनुमान को भी कायम रखा है।

चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को भी 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है।

रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इसका उपयोग करता है। रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है।

आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बुधवार को शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘मौद्रिक नीति समिति ने उभरती वृहद आर्थिक और वित्तीय गतिविधियों और परिदृश्य पर गौर करने के बाद रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का फैसला किया है।’’

एमपीसी के छह सदस्यों में से पांच…डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देबब्रत पात्रा और शक्तिकांत दास ने नीतिगत रेपो दर को बरकरार रखने के पक्ष में मतदान किया जबकि प्रो. जयंत आर वर्मा ने इसमें 0.25 प्रतिशत कमी के पक्ष में मत दिया।

उन्होंने कहा कि इसके साथ एमपीसी सदस्यों ने लक्ष्य के अनुरूप खुदरा महंगाई को लाने के लिए उदार रुख को वापस लेने के अपने निर्णय को भी कायम रखने का फैसला किया है।

दास ने कहा, ‘‘आर्थिक वृद्धि की मजबूत संभावनाएं इस बात की गुंजाइश देती हैं कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर लाने के अपने लक्ष्य पर ध्यान दे सके। चूंकि खाद्य पदार्थों की कीमतों में अनिश्चितताएं लगातार चुनौतियां बनी हुई हैं, ऐसे में एमपीसी महंगाई बढ़ने के जोखिम को लेकर सतर्क है।’’

आर्थिक वृद्धि का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ग्रामीण मांग में मजबूती, रोजगार तथा असंगठित क्षेत्र की स्थिति में सुधार, मुद्रास्फीतिक दबाव कम होने और विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र की गतिविधियों के रफ्तार पकड़ने से निजी उपभोग बढ़ेगा।’’

उन्होंने कहा कि आने वाले समय में सामान्य दक्षिण-पश्चिम मानसून की उम्मीद के कारण, गेहूं की अच्छी फसल और खरीफ फसलों की बेहतर संभावनाओं के साथ, कृषि और ग्रामीण गतिविधियों का दृष्टिकोण बेहतर दिखाई देता है।

हालांकि, उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक व्यापार मार्ग में समस्या से कुछ दिक्कतें आ सकती हैं।

दास ने कहा कि निजी निवेश चक्र में सुधार के चलते निवेश गतिविधियों को लेकर संभावनाएं बेहतर हुई हैं। इसके अलावा सरकार का पूंजीगत व्यय बढ़ने, बैंकों तथा कंपनियों का मजबूत बही-खाता, क्षमता इस्तेमाल बढ़ने और कारोबारी भरोसा बेहतर होने से भी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

आरबीआई गवर्नर ने कहा इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हमारा अनुमान है कि कि देश की सकल घरेलू उत्पाद की वास्तविक वृद्धि दर 2024-25 में सात प्रतिशत रहेगी। जून तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत, सितंबर तिमाही में 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था के सात प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।

मुद्रास्फीति के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले समय में खाद्य पदार्थों की कीमतों में अनिश्चितता का मुद्रास्फीति के रुख पर असर पड़ सकता है। हालांकि, रबी गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन से कीमतों पर काबू पाने में मदद मिलेगी… मानसून सामान्य रहने का शुरुआती अनुमान खरीफ सत्र के लिए अच्छा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ आने वाले महीनों में तापमान सामान्य से अधिक रहने के अनुमान को देखते हुए कुछ दालों के मामले में मांग और आपूर्ति की स्थिति तंग होने की आशंका है। सब्जियों के मामले में इसके उत्पादन पर भी नजर रखने की जरूरत है।’’

दास ने कहा कि मार्च के मध्य में पेट्रोल तथा डीजल कीमतों में कटौती के बावजूद हाल के समय में कच्चे तेल के दाम बढ़े हैं जिसकी निगरानी करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि इन सब परिस्थितियों को देखते हुए 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

उल्लेखनीय है कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने देश में अप्रैल-जून की अवधि के दौरान अत्यधिक गर्मी पड़ने का अनुमान जताया है।

इसके अलावा, आरबीआई ने यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के जरिये नकदी जमा करने वाली मशीन में पैसा जमा करने की सुविधा देने की घोषणा की है।

साथ ही पीपीआई (प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स) कार्ड धारकों को बैंक खाताधारकों की तरह तीसरे पक्ष के यूपीआई ऐप के जरिये यूपीआई भुगतान की सुविधा देने का भी प्रस्ताव किया गया है।

आरबीआई सरकारी प्रतिभूति बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी को सुगम बनाने के लिए जल्द ही एक मोबाइल ऐप पेश करेगा।

इसके अलावा, रिजर्व बैंक ने गांधीनगर स्थित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) में सॉवरेन हरित बॉन्ड(एसजीआरबी) में निवेश तथा कारोबार की अनुमति देने की घोषणा की।

उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने फरवरी, 2023 में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था। उससे पहले मई, 2022 से लगातार छह बार में नीतिगत दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि की गयी थी।

मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक पांच-सात जून को होगी।

भाषा रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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