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Thursday, 21 November, 2024
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‘रेपो रेट 6.50 प्रतिशत पर बरकरार’, RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई पर जताई चिंता

चालू वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को भी 5.4 प्रतिशत पर कायम रखा गया है.

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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को लगातार चौथी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा. इसका मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में कोई बदलाव नहीं होगा.

शुक्रवार सुबह नीति वक्तव्य पर विचार-विमर्श करते हुए, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक चिंतित है और उसने उच्च मुद्रास्फीति को व्यापक आर्थिक स्थिरता और सतत विकास के लिए एक प्रमुख जोखिम के रूप में पहचाना है.

शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने परिस्थितियों पर गौर करने के बाद आम सहमति से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखने का फैसला किया.’’

उन्होंने आगे बताया, “सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए वास्तविक GDP वृद्धि 6.5% अनुमानित है. अगले वित्तीय वर्ष 2024 -25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक GDP वृद्धि 6.6% रहने का अनुमान है.”

चालू वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को भी 5.4 प्रतिशत पर कायम रखा गया है.

आगे जानकारी देते हुए दस बोले कि, वर्तमान वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल मुद्रास्फीति घटकर 4.6% हो गई, जबकि पिछले साल की पहली तिमाही में यह 7.3% थी.

रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं. आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इसका उपयोग करता है.

दास ने कहा कि भारत दुनिया के लिये आर्थिक वृद्धि का इंजन बना हुआ है, लेकिन आत्मसंतुष्टि की गुंजाइश नहीं है. एमपीसी मुद्रास्फीति को लेकर जरूरत के अनुसार कदम उठाएगी.

आरबीआई ने अगस्त, जून और अप्रैल की पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकों में भी रेपो दर में बदलाव नहीं किया था.

इससे पहले, मुख्य रूप से मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये पिछले साल मई से लेकर कुल छह बार में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी.


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