नयी दिल्ली, दो जून (भाषा) जाने-माने उद्योगपति मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) के लिहाज से शीर्ष 30 वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों की सूची में जगह बनाने वाली एकमात्र भारतीय कंपनी है।
‘ट्रेंड्स – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में यह कहा गया है। इसमें वैश्विक स्तर पर कृत्रिम मेधा (एआई) प्रौद्योगिकियों को तेजी से अपनाने और परिवर्तनकारी प्रभाव पर विस्तार से अध्ययन किया गया है।
रिपोर्ट में बाजार पूंजीकरण के आधार पर वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों की सूची दी गई है। सूची में शीर्ष आठ स्थानों पर अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियां… माइक्रोसॉफ्ट, एनवीडिया, एप्पल, अमेजन, अल्फाबेट, मेटा प्लेटफॉर्म, टेस्ला और ब्रॉडकॉम काबिज हैं। ताइवान की टीएसएमसी नौवें जबकि चीन की टेनसेंट 10वें स्थान पर है।
सूची के अनुसार, 216 अरब डॉलर के बाजार मूल्यांकन के साथ रिलायंस 23वें स्थान पर है।
रिपोर्ट कहती है, ‘‘पिछले 30 साल (1995-2025) में, केवल पांच कंपनियां…माइक्रोसॉफ्ट, ऑरैकल, सिस्को, आईबीएम और एटीएंडटी… शीर्ष 30 सबसे अधिक मूल्यवान सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों में शामिल रही हैं।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘इसमें रिलायंस को एनवीडिया, एप्पल, अमेजन, अल्फाबेट, मेटा, टेस्ला, अलीबाबा, सेल्सफोर्स और चाइना मोबाइल जैसी नई कंपनियों के साथ रखा गया है। ’’
इसके अनुसार, ‘‘दुनिया में 1995 में सबसे मूल्यवान तकनीकी कंपनियों में अमेरिका की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत (30 में से 16) और 2025 में 70 प्रतिशत (30 में से 21) थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, 1995 में, शीर्ष प्रौद्योगिकी कंपनियों में जापान की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत (30 में से 9) थी जबकि 2025 में यह शून्य स्तर पर आ गयी। ब्रिटेन, सिंगापुर, हांगकांग, मेक्सिको और मलेशिया की एक-एक कंपनियां सूची में थी, लेकिन अब कोई भी सूची में नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘2025 में, सूची में शामिल नये देशों में चीन की तीन, जर्मनी की दो, ताइवान के साथ, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया और भारत की एक-एक कंपनियां इसमें हैं।
सूची में ताइवान की केवल एक कंपनी…टीएसएमसी शामिल है। यह कंपनी विश्व के सर्वाधिक उन्नत सेमीकंडक्टर का 80 से 90 प्रतिशत तथा वैश्विक सेमीकंडक्टर का 62 प्रतिशत उत्पादन करती है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा चैटजीपीटी मोबाइल ऐप उपयोगकर्ता हैं। ओपन एआई द्वारा विकसित कृत्रिम मेधा (एआई)-संचालित चैटबॉट के मासिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं में से 13.5 प्रतिशत भारत में हैं। इस मामले में अमेरिका (8.9 प्रतिशत), इंडोनेशिया (5.7 प्रतिशत) और ब्राजील (5.4 प्रतिशत) से भारत आगे है। पाकिस्तान में तीन प्रतिशत इसके उपयोगकर्ता हैं।
चीनी एआई ऐप डीपसीक के सक्रिय वैश्विक उपयोगकर्ताओं में भी भारत का हिस्सा 6.9 प्रतिशत है। इस मामले में चीन (33.9 प्रतिशत) और रूस (9.2 प्रतिशत) भारत से आगे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘कृत्रिम मेधा आधुनिक परिदृश्य को बहुत तेजी से बदल रही है। शोध के रूप में जो शुरू हुआ, वह उद्योगों में उभरते हुए मुख्य बुनियादी ढांचे में बदल गया है। एआई ग्राहक सहायता से लेकर सॉफ्टवेयर विकास, वैज्ञानिक खोज, शिक्षा और विनिर्माण तक हर चीज को शक्ति प्रदान कर रही है।’’
भाषा रमण अजय
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