नयी दिल्ली, 11 अप्रैल (भाषा) रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. अपने मजबूत पुराने ऊर्जा कारोबार से होने वाले नकदी प्रवाह का इस्तेमाल कंपनी के नए स्वच्छ ऊर्जा कारोबार में होने वाले पूंजी व्यय का वित्तपोषण करने के लिए आसानी से कर सकती है। इससे कंपनी 2035 तक शुद्ध रूप से कार्बन उत्सर्जन को शून्य पर लाने के साथ बड़ी ऊर्जा कंपनियों में सर्वाधिक लाभ कमाने वाली इकाई होगी। वित्तीय सेवा देने वाली कंपनी गोल्डमैन सैक्श के एक नोट में यह कहा गया है।
उद्योगपति मुकेश अंबानी ने 2020 में रिलायंस इंडस्ट्रीज को 2035 तक शुद्ध रूप से शून्य उत्सर्जन वाली कंपनी बनाने का लक्ष्य रखा था। कंपनी गुजरात के जामनगर में दुनिया की सबसे बड़े तेल रिफाइनरी परिसर का संचालन करती है।
कंपनी नये स्वच्छ ऊर्जा कारोबार में जमीन तैयार करने को लेकर पहले ही 1.5 अरब डॉलर खर्च कर चुकी है। इसमें सौर ऊर्जा, बैटरी और हाइड्रोजन उत्पाद शामिल हैं। इस कारोबार से होने वाली कार्बन की बचत तेल एवं रसायन कारोबार से होने वाले उत्सर्जन की भरपाई करेगी।
गोल्डमैन सैक्श ने रविवार को जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि रिलायंस शूद्ध रूप से शून्य उत्सर्जन के लिये विनिर्माण की तरफ रुख कर रही है। विनिर्माण में सौर से लेकर बैटरी और हाइड्रोजन शामिल हैं।
इसमें कहा गया है, ‘‘हमारे विचार से आरआईएल का ऊर्जा कारोबार काफी मजबूत और बेहतरीन है। अपने समकक्षों के मुकाबले कंपनी का लागत ढांचा निचले स्तर पर है जिससे कारोबार टिकाऊ और मार्जिन अपेक्षाकृत अधिक है।’’
गोल्डमैन सैक्श के अनुसार, ‘‘रिफाइनिंग के साथ-साथ, हमारा अनुमान है कि तेल और गैस खोज तथा उत्पादन ऊर्जा खंड में वृद्धि को अगले चरण में ले जाएगा। हमारा अनुमान है कि घरेलू गैस उत्पादन में वृद्धि और कीमतों के दोगुना से अधिक बढ़ने से 2023-24 में खोज और उत्पादन श्रेणी से कर पूर्व लाभ (ईबीआईटीडीए) दो से 2.6 अरब डॉलर रहेगा। जो 2020-21 में 3.5 करोड़ डॉलर था।’’
रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि पेट्रो रसायन कारोबार में मौजूदा तिमाही में मार्जिन पर दबाव रहने की आशंका है।
गोल्डमैन सैक्श ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि आरआईएल का नये ऊर्जा कारोबार में निवेश का वित्तपोषण पुराने ऊर्जा कारोबार (तेल-रसायन) से होने वाले नकदी प्रवाह से हो सकता है। इससे कंपनी बड़ी ऊर्जा कंपनियों में 2035 तक शुद्ध रूप से कार्बन उत्सर्जन को शून्य पर लाने के साथ सर्वाधिक लाभ कमाने वाली इकाई होगी।’’
नई ऊर्जा रणनीति के तहत आरआईएल पॉलीसिलिकन, वैफर्स, सेल, मॉड्यूल्स (सौर क्षेत्र के लिये), ईवी और ग्रिड भंडारण बैटरीज तथा इलेक्ट्रोलाइजर (हाइड्रोजन उत्पादन के लिये) और फ्यूल सेल के विनिर्माण पर ध्यान दे रही है।
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रमण अजय
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