नयी दिल्ली, एक अक्टूबर (भाषा) जमीन, मकान के विकास से जुड़ी कंपनियों तथा विशेषज्ञों ने बुधवार को कहा कि आरबीआई का नीतिगत दर रेपो को 5.5 प्रतिशत पर कायम रखने से क्षेत्र को जरूरी स्थिरता मिलेगी। हालांकि उन्होंने उम्मीद जतायी कि आरबीआई आगामी बैठकों में दो चरणों में नीतिगत दर में 0.5 प्रतिशत की कटौती करेगा, जिससे क्षेत्र को जरूरी गति मिलेगी।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौजूदा घरेलू एवं वैश्विक परिस्थितियों पर गौर करते हुए प्रमुख नीतिगत दर रेपो को बुधवार को 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
रियल एस्टेट क्षेत्र के शीर्ष निकाय नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) के अध्यक्ष जी. हरि बाबू ने कहा, ‘‘ वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत के अनुमान के साथ रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय स्वागत योग्य है। हालांकि जिस तरह सरकार ने जीएसटी (माल एवं सेवा कर) में कटौती करके विभिन्न क्षेत्रों को गति देने का प्रयास किया है, उसी तरह रेपो दर में कटौती करके रियल एस्टेट क्षेत्र को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। हमें उम्मीद है कि आरबीआई अगली बैठक में रेपो दर को 5.5 प्रतिशत से नीचे लाने पर विचार करेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ रेपो दर घटने पर आवास ऋण की मासिक किस्त कम होगी, जिससे मध्यमवर्गीय परिवारों की मकान खरीदने की क्षमता बढ़ेगी और ‘हाउसिंग फॉर ऑल’ जैसे सरकारी मिशन को नई गति मिलेगी।’’
क्रेडाई (कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) ने कहा कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच यह कदम आवास क्षेत्र को आवश्यक स्थिरता प्रदान करता है लेकिन साथ ही उसने चालू वित्त वर्ष में रेपो दर में 0.5 प्रतिशत की और कटौती की उम्मीद जतायी।
बयान के अनुसार, ‘‘ स्थिर दरें मकान खरीदारों के लिए बेहद अहम हैं क्योंकि इससे उधार लेने की लागत स्थिर रहती है और लंबी अवधि की योजना बनाने का विश्वास बढ़ता है। हालांकि हम इस बार 0.25 प्रतिशत की कटौती की उम्मीद कर रहे थे लेकिन क्षेत्र को विश्वास है कि चालू वित्त वर्ष में आरबीआई आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दो चरणों में कुल 0.5 प्रतिशत की कटौती करेगा।’’
रियल एस्टेट से जुड़ी सेवाएं देने वाली सीबीआरई के चेयरमैन एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया व अफ्रीका) अंशुमान मैगजीन ने कहा, ‘‘ रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर यथावत रखने का निर्णय त्योहारों से पहले और अस्थिर वैश्विक व्यापक आर्थिक एवं नीतिगत स्थितियों के बीच एक संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है। हाल ही में जीएसटी में कटौती और सीमित मुद्रास्फीति के साथ, इस घोषणा से उपभोक्ता धारणा में सुधार होने की संभावना है। साथ ही आने वाले हफ्तों में प्रमुख क्षेत्रों में मांग में वृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है। ’’
उन्होंने कहा,‘‘ रियल एस्टेट क्षेत्र में यह एक स्थिर विकास परिदृश्य का संकेत देता है और बाजार के विश्वास को मजबूत करता है…। आगे चलकर, हमें उम्मीद है कि खपत में सुधार होगा और बाजार की गति और तेज होगी। ’’
सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लि. के संस्थापक एवं चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा, ‘‘ आरबीआई का यह कदम वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत के वित्तीय तंत्र में स्थिरता और निरंतरता लाता है। इस कदम से नगदी, उपभोक्ता विश्वास को बढ़ावा मिलने और निवेश गतिविधियों को प्रोत्साहित करके रियल एस्टेट सहित सभी क्षेत्रों में सकारात्मक गति बनी रहने की उम्मीद है।’’
एसकेए ग्रुप के निदेशक संजय शर्मा ने कहा, ‘‘ नवरात्रि से लेकर दिवाली तक परंपरागत रूप से बुकिंग सबसे अधिक होती है। आरबीआई के रेपो रेट को यथावत रखने से मासिक किस्त स्थिर रहेंगी, जिससे खरीदारों को बड़े निवेश की योजना बनाते समय स्पष्टता मिलेगी। इस अवधि में असमंजस की स्थिति में रहने वाले खरीदारों के लिए निर्णय लेने की संभावना रहती है जिससे बाजार में बिक्री तेज होगी।’’
कृष्णा ग्रुप और क्रिसुमी कॉरपोरेशन के चेयरमैन अशोक कपूर ने कहा, ‘‘ रेपो दर को यथावत रखने का आरबीआई का निर्णय आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति प्रबंधन के दोहरे उद्देश्यों में संतुलन बनाए रखने के लिए एक सतर्क एवं विवेकपूर्ण दृष्टिकोण को दर्शाता है। हालांकि इस समय दर में कटौती से आवास की मांग और समग्र बाजार गतिविधि को अतिरिक्त बढ़ावा मिलता, लेकिन रियल एस्टेट क्षेत्र को पहले की गई कटौतियों तथा वाणिज्यिक बैंकों द्वारा मौजूदा ऋण दर समायोजनों से लाभ मिलना जारी है।’’
ओकस ग्रुप के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक प्रकाश मेहता ने कहा “आरबीआई ने रेपो रेट 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखते हुए और तटस्थ रुख अपनाकर यह दिखाया है कि वह वृद्धि को बढ़ावा देने और महंगाई को काबू में रखने में संतुलित कदम उठा रहा है। रियल एस्टेट के लिए यह अच्छा है क्योंकि इससे नीति के मोर्चे पर स्थिरता बनी रहेगी और निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा।’’
लोहिया वर्ल्डस्पेस के निदेशक पीयूष लोहिया ने कहा कि आरबीआई का फैसला बाजार में स्थिरता लाने और वृद्धि व मुद्रास्फीति के बीच संतुलन बनाने का संकेत है। इससे डेवलपर और मकान खरीदने वालों दोनों को अनुमानित माहौल मिलता है।
ओरिस ग्रुप के बिक्री प्रमुख, विशाल सभरवाल ने कहा, “आरबीआई का रेपो रेट 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखना कर्ज की लागत को स्थिर करता है, जिससे खरीदारों का निवेश करने में भरोसा बढ़ता है। पहली बार घर खरीदने वालों के लिए ईएमआई अहम भूमिका निभाती है और यह स्थिरता उन्हें लगातार किफायती खरीदारी का मौका देती है। त्योहारों के मौसम में बाजार में माहौल पहले से ही सकारात्मक है, इसलिए हमें उम्मीद है कि मांग मजबूत बनी रहेगी।’’
मणासुम सीनियर लिविंग होम्स के सह-संस्थापक अनंथा राम वरयूर ने कहा, “रेपो रेट स्थिर रखने का आरबीआई का निर्णय एक संतुलित रुख को दर्शाता है जो विकास को प्रोत्साहित करता है और साथ ही मुद्रास्फीति के जोखिमों को नियंत्रित रखता है। सीनियर लिविंग हाउसिंग क्षेत्र के लिए ब्याज दरों में यह स्थिरता राहत भरा है, क्योंकि इससे मकान खरीदने वालों के लिए उधारी लागत भरोसेमंद बनी रहती है। हालांकि, इस क्षेत्र की दीर्घकालिक प्रगति मांग की स्थिति, किफायत और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल से जुड़ी नीतिगत पहलों पर निर्भर करेगी।’’
भाषा निहारिका रमण
रमण
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