नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) सोने के बदले ऋण देने के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नए नियमों से कारोबारी मॉडल में बदलाव आएगा और परिचालन में तेजी, सेवा उत्कृष्टता ऋणदाताओं के बीच मुख्य अंतर बने रहेंगे। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने बृहस्पतिवार को यह बात कही।
भारतीय रिजर्व बैंक सोने के बदले कर्ज देने के लिए ऋण-मूल्य (एलटीवी) अनुपात 2.5-5 लाख रुपये के बीच ऋण राशि के लिए 80 प्रतिशत और पांच लाख रुपये से अधिक के ऋण के लिए 75 प्रतिशत निर्धारित किया गया है। ऋणदाताओं के पास बदलावों के लिए तैयार होने के लिए एक अप्रैल, 2026 तक का समय है।
‘स्वर्ण-आधारित कर्ज पर भारत के नए नियम प्रतिस्पर्धी परिदृश्य को नया आकार दे सकते हैं’ शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में एसएंडपी ने कहा कि स्वर्ण-आधारित ऋणों पर भारतीय रिजर्व बैंक के नए नियमों से देश के तेजी से बढ़ते ऋण क्षेत्र में व्यापार मॉडल में बदलाव आने की संभावना होगी।
एसएंडपी ने कहा, ‘‘ हमारे विचार में परिचालनगत चुस्ती और सेवा उत्कृष्टता, ऋणदाताओं के बीच मुख्य अंतर बने रहेंगे।’’
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की ‘क्रेडिट’ विश्लेषक गीता चुघ ने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को आय और नकदी प्रवाह के आधार पर उधारकर्ताओं की पुनर्भुगतान क्षमताओं का मूल्यांकन करने के लिए जोखिम प्रबंधन नीतियां और प्रक्रियाएं विकसित करने की जरूरत है।
चुघ ने कहा, ‘‘ परंपरागत रूप से, वे गारंटी मूल्यांकन पर निर्भर रहे हैं। पुनर्भुगतान क्षमता का आकलन करने के लिए ऋण अधिकारियों को नियुक्त करने और प्रशिक्षित करने के लिए कौशल अंतर को पाटना इन ऋणदाताओं के लिए एक प्रारंभिक लागत और एक बाधा दोनों है।’’
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निहारिका अजय
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