मुंबई, आठ अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मुद्रास्फीति प्रबंधन की तरफ ध्यान केंद्रित करने के कदम को अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों ने ‘पिछली समीक्षाओं की तुलना में स्पष्ट रूप से आक्रमक रुख करार दिया है।
उन्होंने शुक्रवार को कहा कि इस कदम के साथ मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने तीन साल से जारी उदार नीतिगत रुख वापस लेने का संकेत दिया है।
छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दर रेपो को चार प्रतिशत पर बरकरार रखा। साथ ही उदार रुख को यथावत रखने का निर्णय किया।
केंद्रीय बैंक ने रूस-यूक्रेन युद्ध और उसका कीमतों तथा वृद्धि पर प्रभाव का हवाला देते हुए 2022-23 के लिये आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 0.6 प्रतिशत घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया। साथ ही मुद्रास्फीति का अनुमान 1.2 प्रतिशत बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने संवाददाताओं से कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति के प्रभाव को देखते यह समय मुद्रास्फीति प्रबंधन पर ध्यान देने के लिये उपयुक्त है।
एचडीएफ़सी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने एक बयान में कहा कि मुद्रास्फीति प्रबंधन को लेकर एमपीसी की फरवरी की बैठक की तुलना में इस बैठक का रुख आक्रमक रहा।
उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका को देखते हुए मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान में बढ़ोतरी समझदारी भरा निर्णय लगता है।
इक्रा रेटिंग की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि नीति की घोषणा के तुरंत बाद 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) पर प्रतिफल सात प्रतिशत पर पहुंच गया।
उन्होंने अनुमान जताया कि पहली छमाही में मानक प्रतिफल 7.4 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
इंडिया रेटिंग्स के प्रमुख अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि नीति में अंतत: एलएएफ (तरलता समायोजन सुविधा) दायरे में बहुप्रतीक्षित सुधार लाया गया है।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि केंद्रीय बैंक आज अधिक चुस्त दिखा और उसने चालू वित्त वर्ष में उदार रुख को बनाए रखने के बावजूद आने वाले समय में इससे हटने का संकेत दिया है।
भाषा जतिन रमण
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