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मुंबई, पांच अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बैंकों के लिए नकदी संपत्ति अनुपात (एलसीआर) की समीक्षा की शुक्रवार को घोषणा की। इस पहल का मकसद गंभीर संकट की स्थिति में भी सुचारू कामकाज सुनिश्चित करना है।
नए वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा के साथ घोषित विकासात्मक तथा नियामक नीतियों पर एक बयान में दास ने कहा कि अन्य देशों में हाल की घटनाओं से पता चला है कि ग्राहकों द्वारा बैंकों से धन को जल्दी से निकालने या स्थानांतरित करने के लिए डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल किया गया।
दास ने कहा कि नकदी संपत्ति अनुपात अनुपात ढांचे के तहत बनाई गई धारणाओं पर फिर से विचार करने की जरूरत है। गंभीर संकट के समय ऐसा ढांचा मददगार होगा।
गवर्नर ने कहा, ‘‘ बैंकों द्वारा तरलता जोखिम के बेहतर प्रबंधन की सुविधा के लिए एलसीआर ढांचे में कुछ संशोधन प्रस्तावित किए जा रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि इस पर जल्द ही एक मसौदा परिपत्र जारी किया जाएगा।
उन्होंने आश्वासन दिया कि आरबीआई विनियमन की समीक्षा पर संतुलित और परामर्शात्मक दृष्टिकोण अपनाएगा।
दास ने कहा कि वर्तमान में एलसीआर ढांचे के तहत आने वाले बैंकों को अगले 30 दिन में अपेक्षित शुद्ध नकदी बहिर्प्रवाह को कवर करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली तरल संपत्ति (एचक्यूएलए) का स्टॉक बनाए रखना आवश्यक है।
इस बीच, गवर्नर ने यह भी घोषणा की कि लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) को जल्द ही रुपया ब्याज डेरिवेटिव उत्पादों में लेनदेन करने की अनुमति दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में, ऋणदाताओं के इस समूह को जोखिम से बचाव के उद्देश्य से केवल ब्याज दर वायदा (आईआरएफ) का उपयोग करने की अनुमति है।
दास ने कहा कि रुपया ब्याज डेरिवेटिव में सौदा करने के निर्णय से ब्याज दर जोखिम को कम करने के मार्ग का विस्तार होगा और लघु वित्त बैंकों को अधिक मजबूती भी मिलेगी।
भाषा निहारिका अजय रमण
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