मुंबई, आठ अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक ने विनियमित इकाइयों की ग्राहक सेवाओं में सुधार के लिए एक समिति का गठन करने की शुक्रवार को घोषणा की। यह समिति उपभोक्ता संरक्षण की समीक्षा करेगी और उसे मजबूत करने के उपाय सुझाएगी।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा, ‘‘केंद्रीय बैंक ने पिछले कुछ वर्षों में उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं। इन उपायों में ग्राहक सेवा, आंतरिक शिकायत निवारण और ‘ओम्बड्मैन’ प्रणाली पर नियामकीय ढांचा खड़ा करना शामिल है।’’
दास ने कहा कि आरबीआई के नियमन के दायरे में आने वाली संस्थाओं ने उत्पादों और सेवाओं में नवाचारों, डिजिटल पैठ को गहरा किया। वित्तीय क्षेत्र में व्यापक बदलाव आया है। ऐसे में रिजर्व बैंक के नियमन वाली इकाइयों (आरई) की मौजूदा सेवाओं और ग्राहक सेवा नियमनों की अनुकूलता की समीक्षा के लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव है। समिति इन सेवाओं में सुधार के उपाय सुझाएगी।
वित्तीय प्रणाली की मौजूदा स्थितियों, आचरण की निगरानी के निष्कर्षों, प्राप्त शिकायतों के विश्लेषण और इस उद्देश्य के लिए गठित विभिन्न समितियों से प्राप्त सिफारिशों के आधार पर विनियमित संस्थाओं को नियामक निर्देश जारी किए जाते हैं।
दास ने कहा कि नियमन के तहत आने वाले संस्थानों की जलवायु के प्रभाव की समझ को बेहतर करने और वित्तीय जोखिमों के प्रभाव के आकलन के लिए जलवायु जोखिम और सतत वित्त पर एक परिचर्चा पत्र प्रकाशित किया जाएगा और इसपर विचार लिए जाएंगे।
भाषा रिया रिया अजय प्रेम
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