नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) प्रमुख उद्योग संगठनों ने नीतिगत दरों को स्थिर रखने के रिजर्व बैंक के कदम का स्वागत करते हुए शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति को काबू में रखने के साथ ही वृद्धि को समर्थन देकर बढ़िया संतुलन साधा है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो दर को लगातार 11वीं बार यथावत रखते हुए चार प्रतिशत पर बरकरार रखा है। इसे रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में मुद्रास्फीति बढ़ने के बावजूद आर्थिक वृद्धि को समर्थन जारी रखने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष संजीव मेहता ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘‘आरबीआई का बयान उदार रुख की वापसी का संकेत देता है जो साफ तौर पर मुद्रास्फीति को लक्ष्य के भीतर रखने के लिए तरलता प्रबंधन के सामान्यीकरण का इशारा करता है।’’
उन्होंने कहा कि पिछली मौद्रिक समीक्षा के बाद आर्थिक हालात में काफी बदलाव हुए हैं और आरबीआई के इसका संज्ञान लेने की पूरी उम्मीद थी। उन्होंने कहा कि फरवरी अंत से बढ़े भू-राजनीतिक तनाव से वैश्विक पुनरुद्धार प्रभावित हुआ है और भारत पर भी इसका कुछ असर पड़ना अपरिहार्य है।
उद्योग मंडल एसोचैम ने भी मुद्रास्फीति नियंत्रण एवं वृद्धि संवर्द्धन के बीच संतुलन साधने के केंद्रीय बैंक के प्रयासों की तारीफ की है। एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि आरबीआई ने मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव के बीच मजबूत प्रतिक्रिया देकर भारतीय अर्थव्यवस्था को सही दिशा में ले जाने की कोशिश की है।
इसी तरह पीएचडी उद्योग एवं वाणिज्य मंडल के अध्यक्ष प्रदीप मुल्तानी ने कहा कि आरबीआई का यह रुख पीएचडी के अनुमानों के अनुकूल ही है। मुल्तानी ने कहा, ‘‘आरबीआई के कदम आर्थिक पुनरुद्धार के साथ ही कारोबारी एवं उपभोक्ता धारणा को समर्थन देने में भी कारगर साबित होंगे।’’
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प्रेम अजय
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