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Saturday, 21 December, 2024
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आरबीआई ने घटाया अनुमान, 2019-20 में 5 प्रतिशत रह सकती है जीडीपी

आरबीआई ने 2019-20 के लिए जीडीपी अनुमान 6.1 प्रतिशत के पिछले अनुमान से कम कर के 5 प्रतिशत कर दिया है. रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने यह अनुमान लगया है.

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नई दिल्ली: भारतीय रिज़र्व बैंक ने वर्ष 2019-20 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अनुमान घटा दिया है. आरबीआई ने इसे अपने 6.1 प्रतिशत के पिछले अनुमान से कम कर के 5 प्रतिशत कर दिया है. रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने यह अनुमान लगाया है.

माना जा रहा था कि पिछली कई बार की तरह इस बार भी आरबीआई रेपो रेट में कमी करेगा. लेकिन बैंक ने इसमें कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो दर मौजूदा 5.15 प्रतिशत पर ही हैं और रिवर्स रेपो रेट 4.90 प्रतिशत है. वहीं बैंक रेट को भी 5.40 प्रतिशत पर ही रखा गया है.

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा विदेशी मुद्रा भंडार तीन दिसंबर को उछलकर 451.7 अरब डालर की नई ऊंचाई पर पहुंचा.

दास ने कहा, ‘राजकोषीय घाटे को लेकर चिंता नहीं, लेकिन चक्रीय आर्थिक नरमी से निपटने के वित्तीय उपायों पर अधिक स्पष्टता की जरूरत. अब तक वित्तीय और मौद्रिक प्राधिकारों के बीच समन्वय बेहतर बना हुआ है. आर्थिक वृद्धि में बेहतरी के संकेत दिख रहे हैं, लेकिन यह कितनी टिकाऊ होगी इस बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी.’

दास ने कहा, ‘दूरसंचार शुल्कों में हुई वृद्धि का मुख्य मुद्रास्फीति पर कुछ असर हो सकता है.’

जानकारों का मानना है कि रेपो दरों में कटौती करने से लोगों को ब्याज़ दरों में फायदा मिलता है. लेकिन रेपो दरों में बदलाव न होने पर लोगों को कोई अतिरिक्त फायदा नहीं मिलेगा.

 वित्त वर्ष 2019-20 की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की मुख्य बातें : 

* रेपो दर 5.15 प्रतिशत पर अपरिवर्तित.

* चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर का अनुमान 6.1 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत किया गया.

* विभिन्न त्वरित संकेतक बता रहे हैं कि मांग हालात कमजोर बने हुए हैं.

* आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये रिजर्व बैंक उदार रुख बनाये रखेगा.

* यह माना है कि मौद्रिक नीति में भविष्य में कदम उठाने की गुंजाइश बनी हुई है.

* चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान बढ़ाकर 5.1-4.7 प्रतिशत किया.

* रिजर्व बैंक का मानना है कि रेपो दर में कटौती का लाभ आगे पहुंचाने का काम बेहतर होगा.

* विदेशी मुद्रा भंडार तीन दिसंबर को 451.7 अरब डॉलर पर रहा. पिछले वित्त वर्ष की समाप्ति से यह 38.8 अरब डॉलर अधिक रहा.

* मौद्रिक नीति समिति के सभी छह सदस्यों ने नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने का पक्ष लिया.

* मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक चार से छह फरवरी 2020 को होगी.

अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए कई एजेंसियों का मानना था कि आरबीआई इस बार भी रेपो दरों में बदलाव करेगी.

रेपो रेट क्या है

बैंकों को अपने कामकाज के लिए एक बड़ी रकम की आवश्यकता होती है. बैंकों को यह रकम रिजर्व बैंक देता है. रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों को जिस दर पर कर्ज दिया जाता है इसे ही रेपो रेट कहते हैं.

इसी रेपो रेट के आधार पर बैंक अपने ग्राहकों को दिए जाने वाले कर्ज के ब्याज दरों को महंगा और सस्ता करता है. रिजर्व बैंक की इस पॉलिसी का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है.

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