मुंबई, 25 मार्च (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भुगतान स्वीकार करने वाले ढांचे की उपलब्धता की समुचित निगरानी के लिए भुगतान प्रणाली टच प्वाइंट की जियो-टैगिंग का प्रारूप शुक्रवार को जारी किया।
जियो-टैगिंग का आशय दुकानदार द्वारा अपने ग्राहकों से भुगतान पाने के लिए भुगतान टच प्वाइंट की भौगोलिक स्थिति (अक्षांश एवं देशांतर) चिह्नित करने से है। पीओएस टर्मिनल और क्यूआर कोड के जरिये यह भुगतान स्वीकार किया जाता है।
आरबीआई ने जियो-टैगिंग संबंधी अपने प्रारूप में कहा कि वह डिजिटल भुगतान को विस्तार देने और सभी नागरिकों को समावेशी पहुंच मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उसने कहा कि इस मकसद को हासिल करने के लिए यह जरूरी है कि देश भर में मजबूत भुगतान स्वीकृति ढांचा मौजूद होने के साथ पहुंच के भीतर भी हो।
उसने कहा कि भुगतान प्रणाली टच प्वाइंट की जियो-टैगिंग की निगरानी से भुगतान ढांचे के वितरण को बढ़ाने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप को समर्थन मिलेगा।
पिछले कुछ वर्षों में देश भर में डिजिटल भुगतान की व्यवस्था का बहुत तेजी से विस्तार हुआ है। कई तरह की भुगतान प्रणालियों, मंचों, उत्पादों एवं सेवाओं को उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जा रहा है।
आरबीआई के मसौदा-पत्र के मुताबिक, बैंक एवं गैर-बैंकिंग भुगतान प्रणाली संचालक सभी भुगतान टच प्वाइंट की सटीक भौगोलिक स्थिति को अपने पास रखेंगे। इसके अलावा पीओएस मशीनों और क्यूआर कोड से संबंधित जियो-टैगिंग की सूचना आरबीआई को देनी होगी।
भाषा प्रेम रमण
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