मुंबई, 11 अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को मझोली और बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिये कुछ सिद्धांतों, मानदंडों और प्रक्रियाओं को पेश किया।
एनबीएफसी के लिये संशोधित नियामकीय रूपरेखा अक्टूबर, 2021 में जारी की गई थी। इसमें यह संकेत दिया गया था कि बड़ी एनबीएफसी (एनबीएफसी-यूएल) और मझोले आकार की एनबीएफसी (एनबीएफसी-एमएल) के लिये स्वतंत्र रूप से अनुपालन से जुड़ा कार्य करने और एक मुख्य अनुपालन अधिकारी (सीओओ) नियुक्त करने की आवश्यकता होगी।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि कंपनी संचालन के लिये रूपरेखा में अनुपालन से जुड़े कार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
आरबीआई ने सोमवार को एक परिपत्र में कहा, ‘‘इसी को ध्यान में रखकर, एनबीएफसी-यूएल और एनबीएफसी-एमएल के लिये अनुपालन से जुड़े कार्यों के लिये कुछ सिद्धांतों, मानकों और प्रक्रियाओं को पेश करने का निर्णय किया गया है।’’
शीर्ष बैंक ने कहा कि बड़ी और मझोले स्तर की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को परिपत्र की बातों को न्यूनतम दिशानिर्देश के रूप में लेना चाहिए और उसी के अनुरूप दिशानिर्देश बनाने चाहिए। दिशानिर्देश बनाते समय अपनी कॉरपोरेट संचालन रूपरेखा, परिचालन का पैमाना, जोखिम स्थिति और संगठनात्मक ढांचे समेत अन्य बातों को ध्यान में रखने की जरूरत है।
आरबीआई ने कहा कि अनुपालन कार्यों में एनबीएफसी से संबंधित सभी वैधानिक और नियामकीय जरूरतों को ध्यान में रखना चाहिए। इसमें बाजार आचरण से संबंधित मानक, हितों के टकराव से बचना, ग्राहकों के साथ निष्पक्ष व्यवहार तथा उपयुक्त ग्राहक सेवा सुनिश्चित करना शामिल है।
परिपत्र में कहा गया है, ‘‘निदेशक मंडल/निदेशक मंडल समिति यह सुनिश्चित करेंगे कि एक उपयुक्त अनुपालन नीति हो और उसे लागू किया जाए…।’’
भाषा
रमण अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.