नयी दिल्ली, 30 नवंबर (भाषा) डिजिटल उधारी देने वाले मंचों की तरफ से अत्यधिक ब्याज लेने और कर्ज वसूली के अनैतिक तौर-तरीकों से उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का संशोधित दिशानिर्देश बृहस्पतिवार से लागू हो जाएगा।
आरबीआई के नए मानकों के तहत कर्ज के वितरण एवं उसकी वसूली की समूची प्रक्रिया कर्जदार के बैंक खातों और विनियमित संस्थानों यानी बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों जैसी इकाइयों के बीच ही संचालित की जा सकती है। इस दौरान उधारी सेवा प्रदाताओं (एलएसपी) के किसी भी पूल खाते का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
आरबीआई ने एक प्रेस विज्ञप्ति में इसकी जानकारी देते हुए कहा, ‘कर्ज देने की प्रक्रिया में एलएसपी को देय किसी भी शुल्क एवं अधिभार का भुगतान सीधे बैंक एवं एनबीएफसी करेगा, न कि उधार लेने वाला।’
ऑनलाइन उधारी देने वाले मंचों की तरफ से बहुत अधिक दर से ब्याज लेने और कर्ज की वसूली के लिए ग्राहकों के साथ खराब व्यवहार किए जाने की कई शिकायतें मिलने के बाद आरबीआई ने अगस्त में पहली बार दिशानिर्देश जारी किए थे। ये निर्देश नए कर्ज लेने वाले मौजूदा उपभोक्ताओं के साथ नए ग्राहकों के लिए भी लागू होंगे।
एंड्रोमीडा लोन्स के कार्यकारी चेयरमैन वी स्वामीनाथन ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद डिजिटल कर्ज लेने की दर बढ़ने से इस तरह की व्यवस्था लागू करनी वक्त की जरूरत हो गई थी।
डिजिटैप के संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी नागीन कोम्मू ने इसे ऋण परिवेश के लिए एक अहम घटना बताते हुए कहा कि इससे उधारी के अनैतिक तौर-तरीकों पर लगाम लगाने और निजी जानकारी की गोपनीयता को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
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