मुंबई, आठ अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने करीब तीन साल पहले शुरू हुए नरम नीतिगत रुख को वापस लेने का संकेत दिया है।
दास ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि अब समय आ गया है जब केंद्रीय बैंक को अपनी प्राथमिकता वृद्धि के बजाय मुद्रास्फीति के प्रबंधन की तरफ केंद्रित करनी होगी।
रिजर्व बैंक के मिंट रोड स्थित मुख्यालय पर फरवरी, 2020 के बाद पहली बार ऑफलाइन तरीके से मीडिया को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि मौद्रिक नीति की प्राथमिकताओं में वृद्धि पर मुद्रास्फीति प्रबंधन को तरजीह देने का यह उपयुक्त समय है। इस रुख में तीन साल बाद बदलाव हो रहा है। चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाया जा रहा है, जो इसका संकेत देता है।
इस संवाददाता सम्मेलन से पहले रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने लगातार 11वीं बार रेपो दर को चार प्रतिशत के स्तर पर कायम रखने का फैसला किया। इसके साथ ही एमपीसी ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया है। वहीं सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के अनुमान को 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत किया गया है।
गवर्नर ने कहा कि यू्क्रेन युद्ध की वजह से कच्चे तेल, खाद्य तेल और अन्य जिंसों के दाम बढ़े हैं, जिससे केंद्रीय बैंक को अपने मूल्य परिदृश्य को ऊपर की ओर संशोधित करना पड़ा है।
रुपये-रूबल व्यापार बढ़ने से संबंधित एक सवाल पर दास ने कहा कि आरबीआई ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा जो रूस पर वैश्विक प्रतिबंधों की भावना के खिलाफ हो। यू्क्रेन पर हमले के बाद रूस पर व्यापक आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए हैं। अब रूस अपने कच्चे तेल पर विभिन्न देशों को 27 प्रतिशत छूट की पेशकश कर रहा है। वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की आपूर्ति में रूस की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत है, जबकि प्राकृतिक गैस आपूर्ति में उसका हिस्सा 17 प्रतिशत है।
गवर्नर ने कहा कि रिजर्व बैंक को हाल ही में एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी के विलय का प्रस्ताव मिला है। दोनों कंपनियों ने कुछ दिन पहले ही इस विलय की घोषणा की थी।
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