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Saturday, 21 December, 2024
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RBI ने ब्याज दरों में नहीं किया कोई बदलाव, 10.5% आर्थिक वृद्धि का जताया अनुमान

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि हाल में कोविड-19 संक्रमण में बढ़ोतरी ने आर्थिक वृद्धि दर में सुधार को लेकर अनिश्चितता पैदा की है.

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मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत पर रहेगी.

इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने मार्च में खत्म हुई तिमाही के दौरान मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष की पहली नीतिगत समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि प्रमुख मुद्रास्फीति फरवरी 2021 में पांच प्रतिशत के स्तर पर बनी रही, हालांकि कुछ कारक सहजता की ऊपरी सीमा (4+2%) को तोड़ने की चुनौती उत्पन्न कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि आगे चलकर खाद्य मुद्रास्फीति की स्थिति मानसून की प्रगति पर निर्भर करेगी.

आरबीआई ने वृद्धि का समर्थन करने के लिए प्रमुख रेपो दर को चार प्रतिशत पर बरकरार रखा है.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि हाल में कोविड-19 संक्रमण में बढ़ोतरी ने आर्थिक वृद्धि दर में सुधार को लेकर अनिश्चितता पैदा की है.

साथ ही उन्होंने वायरस के प्रकोप को रोकने और आर्थिक सुधारों पर घ्यान दिए जाने की आवश्यकाता पर बल दिया.

केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आर्थिक वृद्धि के लक्ष्य को 10.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा.

दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक प्रणाली में पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करेगा, ताकि उत्पादक क्षेत्रों को ऋण आसानी से मिले.

दास ने कहा कि केंद्र और राज्यों द्वारा समन्वित प्रयासों से पेट्रोलियम उत्पादों पर घरेलू करों से कुछ राहत मिली है.

हालांकि, कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों और लॉजिस्टिक लागतों के चलते विनिर्माण और सेवाएं महंगी हो सकती हैं.

उन्होंने कहा कि इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति को संशोधित कर पांच प्रतिशत किया गया है. इसी तरह मुद्रास्फीति के अनुमान वित्त वर्ष 2021-22 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए 5.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 4.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 5.1 प्रतिशत हैं.

इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 2020-21 की चौथी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था.


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