मुंबई, 15 मई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के केंद्रीय निदेशक मंडल ने बृहस्पतिवार को अपने आर्थिक पूंजी ढांचे (ईसीएफ) की समीक्षा की। ईसीएफ के आधार पर ही सरकार को दिए जाने वाले लाभांश की राशि तय की जाती है।
आरबीआई ने 2023-24 के लिए सरकार को रिकॉर्ड 2.1 लाख करोड़ रुपये का लाभांश दिया था। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भुगतान 87,416 करोड़ रुपये था।
इस बार लाभांश भुगतान अधिक होने की उम्मीद है, जिसके बारे में निर्णय आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की 23 मई को होने वाली अगली बैठक में लिए जाने की संभावना है।
आरबीआई ने बृहस्पतिवार को बयान में कहा, “भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की 615वीं बैठक आज मुंबई में गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई। एजेंडे के तहत, बोर्ड ने भारतीय रिजर्व बैंक के आर्थिक पूंजी ढांचे (ईसीएफ) की समीक्षा की।”
हस्तांतरणीय अधिशेष का निर्धारण रिजर्व बैंक के मौजूदा आर्थिक पूंजी ढांचे की समीक्षा के लिए बिमल जालान की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुसार, 26 अगस्त 2019 को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अपनाए गए ईसीएफ के आधार पर किया जाता है।
समिति ने सिफारिश की थी कि आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) के अंतर्गत जोखिम प्रावधान को आरबीआई के बही-खाते के 6.5 से 5.5 प्रतिशत के दायरे में बनाए रखा जाए।
चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्रीय बजट में रिजर्व बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से 2.56 लाख करोड़ रुपये की लाभांश आय का अनुमान लगाया गया है।
बोर्ड बैठक में डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव, टी रबी शंकर, स्वामीनाथन जे और पूनम गुप्ता ने भाग लिया।
केंद्रीय बोर्ड के अन्य निदेशक – आर्थिक मामले विभाग के सचिव अजय सेठ, वित्तीय सेवा विभाग के सचिव नागराजू मद्दिराला के अलावा सतीश के मराठे, एस गुरुमूर्ति, रेवती अय्यर, सचिन चतुर्वेदी, वेणु श्रीनिवासन, पंकज रमनभाई पटेल और रवींद्र एच ढोलकिया भी बैठक में शामिल हुए।
भाषा अनुराग रमण
रमण
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.