मुंबई, 14 मार्च (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सूक्ष्म-वित्त ऋणदाता संस्थानों को ऋण की ब्याज दरें तय करने की अनुमति देने के साथ ही कहा है कि यह बहुत ज्यादा नहीं होना चाहिए।
एक सूक्ष्म-वित्त ऋण का आशय तीन लाख रुपये तक की सालाना आय वाले परिवार को दिए जाने वाले गारंटी-मुक्त कर्ज से है।
रिजर्व बैंक ने सूक्ष्म-वित्त ऋणों के संबंध में अपने निर्देशों का नियामकीय प्रारूप जारी करते हुए कहा कि सभी नियमित इकाइयों को निदेशक-मंडल की अनुमति वाली एक नीति लागू करनी चाहिए। इस नीति में सूक्ष्म-वित्त ऋण की कीमत, कवर, ब्याज दरों की अधिकतम सीमा और सभी अन्य शुल्कों के बारे में स्पष्टता लाने की जरूरत है।
पहले आरबीआई खुद ही तिमाही आधार पर ब्याज दरों की घोषणा किया करता था। लेकिन अब ब्याज दर तय करने का अधिकार सूक्ष्म-वित्त संस्थानों को सौंपा जा रहा है।
नए प्रावधान एक अप्रैल 2022 से लागू हो जाएंगे।
सूक्ष्म-वित्त ऋण दिशानिर्देश संबंधी इस प्रारूप के मुताबिक, ‘‘इन कर्जों पर ब्याज दरें एवं अन्य शुल्क बहुत ऊंचे नहीं रखे जाने चाहिए। ये शुल्क एवं दरें रिजर्व बैंक की निगरानी के दायरे में होंगी।’’ उन्हें कर्ज से जुड़े शुल्क की एक सीमा भी तय करने को कहा गया है।
इसके साथ ही प्रत्येक नियमित इकाई को एक संभावित कर्जदार के बारे में कीमत-संबंधी जानकारी एक मानकीकृत सरल ‘फैक्टशीट’ के रूप में देनी होगी। इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा है कि कर्जदार अगर अपने कर्ज को समय से पहले चुकाना चाहता है, तो उस पर किसी तरह की जुर्माना नहीं लगाया जाए।
हालांकि, अगर किस्त के भुगतान में देरी होती है, तो सूक्ष्म-वित्त संस्थान ग्राहक पर जुर्माना लगा सकते हैं लेकिन वह भी बकाया राशि पर ही लगाया जाएगा, समूची कर्ज राशि पर नहीं।
रिजर्व बैंक ने कहा कि किसी सूक्ष्म-वित्त कर्ज की अदायगी के संदर्भ में कर्जदार की मासिक आय की अधिकतम 50 प्रतिशत राशि ही पुनर्भुगतान की सीमा बनाई जा सकती है। इसके अलावा कर्ज संबंधी समझौता कर्ज ले रहे व्यक्ति को समझ में आने वाली भाषा में तैयार करने का भी प्रावधान किया गया है।
पुराने दिशानिर्देशों के तहत सूक्ष्म-वित्त संस्थान की अर्हता नहीं रखने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) अपनी कुल परिसंपत्ति के 10 फीसदी से अधिक सूक्ष्म-वित्त कर्ज नहीं दे सकती थीं। लेकिन अब इसकी अधिकतम सीमा को बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया है।
सूक्ष्म-वित्त संस्थानों के संगठन एमएफआईएन के निदेशक आलोक मिश्रा ने आरबीआई के नए निर्देशों का स्वागत करते हुए कहा कि इससे न केवल ऋण कारोबार में समान अवसर मिलेंगे बल्कि ज्यादा कर्ज में डूबने और कई कर्ज देने की समस्या से भी निपटने में मदद मिलेगी।
भाषा प्रेम अजय
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