(अभिषेक सोनकर)
नयी दिल्ली, छह मार्च (भाषा) इस्पात उद्योग के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि दुनिया भर में ऊर्जा की कीमतों को नियंत्रित करने की जरूरत है, क्योंकि यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से कच्चा माल महंगा हो रहा है।
जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) के प्रबंध निदेशक वी आर शर्मा ने कहा, ‘यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। कुछ तेल कंपनियां हालात का फायदा उठा रही हैं… दुनिया भर में संबंधित सरकारें कीमतों को काबू में रख सकती हैं, क्योंकि सब कुछ ऊर्जा से चलता है।’
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं, माल ढुलाई की दरें भी ऊपर की ओर बढ़ रही हैं, जिससे कच्चे माल की लागत प्रभावित हो रही है।
शर्मा ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष शुरू होने से पहले तेल की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल थी और यह 120 डॉलर प्रति बैरल के करीब हैं और आशंका है कि कुछ दिनों में कच्चा तेल 180 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाएगा।
उन्होंने कहा कि तेल की कीमतें बढ़ने के साथ ही मालवाहक जहाजों की माल ढुलाई दर, जो इस समय 20,000 डॉलर प्रतिदिन है, उसके बढ़कर 30,000 डॉलर प्रतिदिन तक होने की आशंका है।
इसी तरह कोयले के दाम भी बढ़ रहे हैं। संकट शुरू होने से पहले कोकिंग कोल 250 डॉलर प्रति टन के भाव पर था, जो अब बढ़कर 550 डॉलर प्रति टन के स्तर को पार कर गया है।
भारत अपनी कोकिंग कोल की जरूरत का 85 फीसदी आयात से पूरा करता है।
भाषा पाण्डेय
पाण्डेय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.