मुंबई, 16 फरवरी (भाषा) सुचारू और तेजी से पुनरुद्धार तथा उसे दीर्घकाल में बनाये रखने को लेकर विनिर्माण क्षेत्र के लिये नीतिगत समर्थन जारी रखने की जरूरत है। भारतीय रिजर्व बैंक के एक लेख में यह बात कही गयी है।
आरबीआई के मासिक बुलेटिन में ‘भारतीय विनिर्माताओं की धारणा पर कोविड-19 का प्रभाव’ शीर्षक से जारी लेख में कहा गया है कि हालांकि यह क्षेत्र जल्दी ही कोविड-पूर्व स्तर पर जा सकता है, लेकिन दीर्घकालीन स्तर पर प्रवृत्ति को बनाये रखने को कुछ समय लग सकता है।
इसमें कहा गया है कि जैसे ही विनिर्माताओं का दृष्टिकोण सकारात्मक हुआ, कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिये फिर से लगायी गयी पाबंदियों ने पुनरुद्धार प्रक्रिया को धीमा कर दिया। महामारी ने विभिन्न मापदंडों को ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर लाकर उत्पादकों की भावनाओं पर प्रतिकूल असर डाला।
लेख के अनुसार, ‘‘हालांकि मांग स्थिति में सुधार के साथ निकट भविष्य में प्रमुख वृहत आर्थिक कारकों का कोविड-पूर्व स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान है, लेकिन दीर्घकालीन स्तर पर इसके पटरी पर लौटने में कुछ समय लग सकता है।’’
इसमें कहा गया है कि तेजी से टीकाकरण, 2022-23 के बजट प्रस्ताव और अन्य सुधारों से अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार को गति मिलेगी और अर्थव्यवस्था के लिये मध्यम अवधि में अपनी वृद्धि संभावना को फिर से हासिल करने का रास्ता सुगम होगा।
लेख के अनुसार, ‘‘हालांकि, निरंतर नीतिगत समर्थन से पुनरुद्धार सुचारू और तेजी से हो सकता है।’’
आरबीआई ने यह साफ किया है कि लेख में विचार लेखक के हैं और कोई जरूरी नहीं है कि रिजर्व बैंक की सोच से मेल खाते हों।
भाषा
रमण अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.