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Tuesday, 26 November, 2024
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विदेशी बाजारों में तेजी से तेल-तिलहन कीमतों में सुधार, मूंगफली में गिरावट

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नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को अधिकांश तेल-तिलहन के भाव सुधर गए, जबकि मांग प्रभावित होने से मूंगफली तेल-तिलहन की कीमतें गिरावट दर्शाती बंद हुईं।

बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में 1.25 प्रतिशत की तेजी थी, जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में कल रात की 2.5 प्रतिशत की तेजी के बाद फिलहाल यह एक प्रतिशत की बढ़त में था।

सूत्रों ने कहा कि अगर तिलहन उत्पादन बढ़ाकर इसके आयात पर निर्भरता को कम करते हुए देश को आत्मनिर्भरता की राह पर बढ़ना है, तो सरकार को किसी भी सूरत में सरसों सहित विभन्न तेल-तिलहन के वायदा कारोबार पर रोक को बरकरार रखना चाहिये।

उन्होंने कहा कि अगर किसानों को बेहतर दाम मिलते रहे, तो उनमें खुद ही उत्पादन बढ़ाने की पूरी क्षमता मौजूद है बशर्ते सरकार की ओर से उन्हें मदद मिलती रहे और प्रोत्साहन दिया जाये। उन्होंने कहा कि इसका ताजा उदाहरण इस बार सरसों के बुवाई के रकबे में भारी वृद्धि से लगाया जा सकता है।

सूत्रों ने कहा कि 1990 के दशक के मध्य में जब वायदा कारोबार नहीं था तो देश तिलहन के मामले में काफी आत्मनिर्भर था, लेकिन वायदा कारोबार के आते ही इसे तेल कारोबार के बड़े व्यापारी इसे नियंत्रण में लेकर अपने हित साधने लगे।

सूत्रों ने कहा कि वायदा कारोबार के रुकने, सरसों में मिलावट रोके जाने से कुछ लोगों के हित प्रभावित हो सकते हैं लेकिन सरकार ने उपभोक्ताओं, किसानों के हित को साधने का सराहनीय प्रयास किया है। सरसों का उत्पादन बढ़ने का कारण पिछले साल किसानों को मिलने वाली वाजिब कीमत है जबकि वायदा कारोबार में तिलहन उपज आने के बाद जानबूझकर तिलहनों के दाम तोड़े जाते हैं।

सूत्रों ने कहा कि अब किसानों और मिलों के पास सरसों का स्टॉक नहीं के बराबर बचा है और जाड़े की मांग बढ़ रही है। सरसों तिलहन की कीमतें तो पूर्ववत रहीं, वहीं जाड़े की मांग के कारण सरसों तेलों के भाव में सुधार दिखा। बारिश की आशंका को देखते हुए इसकी अगली फसल मंडियों में आने में और देर हो सकती है। अधिक सर्दी और कोविड महामारी के कारण भी सरसों की मांग बनी हुई है।

सूत्रों ने कहा कि लगभग तीन वर्ष पूर्व वायदा कारोबार की कीमतों के दबाव में सरकारी एजेंसी सरसों की बिजाई के समय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी नीचे भाव में सरसों की नियमित रूप से बिक्री कर रही थी और अगर इसे रोककर रखा जाता तो किसानों को समय पर वाजिब दाम भी मिलते और उत्पादन बढ़ता तथा सरसों की मौजूदा किल्लत भी न हुई होती। इस साल सहकारी संस्था हाफेड और नेफेड को बाजार भाव पर सरसों की खरीद कर इसका स्टॉक रखने पर विशेष ध्यान रखना होगा।

सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में तेजी की वजह से सोयाबीन तेल, सीपीओ और पामोलीन के भाव में भी मजबूती रही। सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की सामान्य मांग के बीच सोयाबीन तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। इन तेलों की तेजी की वजह से बिनौला तेल में भी मामूली सुधार आया।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन – 8,600 – 8,630 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली – 5,790 – 5,880 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 12,900 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,895 – 2,020 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 17,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,585 -2,710 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,765 – 2,880 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 16,700 – 18,200 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,100 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,800 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,600

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,350 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,020 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,700 रुपये।

पामोलिन एक्स- कांडला- 11,600 (बिना जीएसटी के)।

सोयाबीन दाना 6,500 – 6,525, सोयाबीन लूज 6,340 – 6,390 रुपये।

मक्का खल (सरिस्का) 4,000 रुपये।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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