scorecardresearch
बुधवार, 21 मई, 2025
होमदेशअर्थजगतविदेशी बाजारो में तेजी से तेल-तिलहन कीमतों में सुधार का रुख

विदेशी बाजारो में तेजी से तेल-तिलहन कीमतों में सुधार का रुख

Text Size:

नयी दिल्ली, तीन जून (भाषा) विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के भाव ऊंचा रहने के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शुक्रवार को पिछले दिन के मुकाबले सरसों एवं मूंगफली तेल- तिलहन, सोयाबीन तेल, बिनौला और पामोलीन तेल कीमतों में सुधार का रुख रहा जबकि सामान्य कारोबार के दौरान सोयाबीन तिलहन और कच्चा पामतेल (सीपीओ) के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने बताया कि विदेशों में खाद्यतेलों के भाव मजबूत बने हुए हैं। शिकॉगो एक्सचेंज में फिलहाल लगभग 0.1 प्रतिशत की तेजी है। विदेशों में तेजी होने से सोयाबीन तेल और पामोलीन तेल कीमतें मजबूती के साथ बंद हुईं। स्टॉक खत्म होने की ओर है, ऐसे में मांग होने से बिनौला तेल में भी सुधार रहा। जबकि शिकॉगो एक्सचेंज के कल रात मजबूत रहने की वजह से सोयाबीन तेल के भाव में भी सुधार रहा। सामान्य कारोबार के दौरान सोयाबीन दाना एवं लूज के साथ सीपीओ के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।

सूत्रों ने कहा कि आयातित तेलों के मुकाबले सरसों जैसी देशी तेल अभी भी सस्ते बैठते हैं। कांडला बंदरगाह पर आयातित सोयाबीन डीगम का भाव रिफाइंड करने के बाद लगभग 161 रुपये किलो (1,000 ग्राम) बैठता है जबकि खुदरा व्यापारियों का मुनाफा जोड़ने के बाद कीमत 165-170 रुपये लीटर (910 ग्राम) बैठना चाहिये। सरसों का भाव 155-160 रुपये लीटर होना चाहिये। लेकिन अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की आड़ में आम उपभोक्ताओं को लूटा जा रहा है और उन्हें 190-210 रुपये लीटर के भाव या कहीं कहीं इससे भी कुछ अधिक दाम पर बेचा जा रहा है। इस एमआरपी की एक सीमा सरकार को तय करनी चाहिये और एमआरपी की नियमित जांच करनी चाहिये।

सूत्रों ने कहा कि सरकार द्वारा हाल में आम उपभोक्ताओं में वितरण करने वाले खाद्यतेल रिफायनिंग कंपनियों को आयात में छूट दिये जाने की घोषणा की गई थी जिसके बाद वृहस्पतिवार रात को विदेशों में सोयाबीन डीगम के भाव में 60 डॉलर प्रति टन की वृद्धि कर दी गई। यह दर्शाता है कि जब जब सरकार तेल आयात बढ़ाने के लिए छूट की मंशा जताती है, उसके तुरंत बाद विदेशों में खाद्यतेलों के दाम बढ़ाये गये हैं। इसके परिणामस्वरूप आम उपभोक्ता को कोई लाभ नहीं होता उल्टा देश को राजस्व की हानि ही होती है।

सूत्रों ने कहा कि आयातित तेलों की कमी को सरसों रिफाइंड तेल से पूरा करने की कवायद चल रही है और मंडियों में सरसों का स्टॉक आना भी निरंतर कम होता जा रहा है। सरसों का इस्तेमाल अन्य तेलों के साथ ‘ब्लेंडिंग’ के लिए भी किया जा रहा है। सरसों की इस बढ़ती खपत की ओर सरकार को अभी ध्यान देना होगा नहीं तो आगे जाकर सरसों की भारी दिक्कत होगी क्योंकि इसका और कोई विकल्प भी नहीं है।

शुक्रवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 7,415-7,465 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,760 – 6,895 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,000 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,670 – 2,860 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 15,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,355-2,435 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,395-2,500 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 17,000-18,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 16,150 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 15,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 14,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 14,400 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 14,850 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 15,860 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 14,700 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 6,750-6,850 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज 6,450- 6,550 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का) 4,000 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments