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Sunday, 20 July, 2025
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विकेन्द्रित सौर ऊर्जा में राजस्थान बन रहा देश का प्रमुख केंद्र

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जयपुर, 20 जुलाई (भाषा) राजस्थान विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी बनकर उभरा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल में ही पीएम-कुसुम योजना के तहत 1,190 मेगावाट क्षमता जोड़ी गई है।

एक बयान के अनुसार, राजस्थान में अब तक 1,305 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाले कुल 684 विकेंद्रीकृत सौर संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं, जिनमें से 592 संयंत्र (1,190 मेगावाट) पिछले 12 महीनों में स्थापित किए गए हैं।

बयान में कहा गया कि यह संयंत्र उद्योगपतियों अथवा बड़े वाणिज्यिक समूहों द्वारा नहीं बल्कि खुद किसानों द्वारा या किसी डेवलपर के साथ मिलकर खेत के समीप अपनी गैर-कृषि योग्य भूमि पर लगाए जा रहे हैं। इन सौर संयंत्रों के माध्यम से किसान अब ऊर्जादाता भी बन रहे हैं और प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता के नए युग की शुरुआत हुई है।

ये संयंत्र ग्रिड सबस्टेशन के पांच किलोमीटर के भीतर स्थापित किए जाते हैं और ताप विद्युत की तुलना में काफी कम दर यानी 2.09 रुपये से तीन रुपये प्रति यूनिट पर बिजली प्रदान करते हैं।

इस योजना को अब स्वच्छ ऊर्जा और ग्रामीण आजीविका के लिए एक दोहरे समाधान के रूप में देखा जा रहा है, जहां किसान बिजली उत्पादक बन रहे हैं, वहीं बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को कम लागत और कम नुकसान वाले वितरण का लाभ मिल रहा है।

इस योजना का कार्यान्वयन अब केंद्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार बिजली डिस्कॉम को सौंप दिया गया है, जो पहले राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम द्वारा किया जाता था।

अधिकारियों ने बताया कि समर्पित अधिकारियों की नियुक्ति, मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करने और स्थापना में तेजी लाने के लिए भूमि एवं ऋण संबंधी मुद्दों को सुगम बनाकर प्रक्रियागत बाधाओं को दूर किया गया है।

प्रदेश की तीन डिस्कॉम में, जोधपुर 997.5 मेगावाट के साथ सबसे आगे है, उसके बाद जयपुर (169.22 मेगावाट) और अजमेर (137.33 मेगावाट) का स्थान है। राष्ट्रीय स्तर पर, राजस्थान घटक-ए में पहले और घटक-सी में गुजरात और महाराष्ट्र के बाद तीसरे स्थान पर है।

बयान के अनुसार, राज्य सरकार का लक्ष्य 2027 तक सभी किसानों को कृषि के लिए दिन में बिजली उपलब्ध कराना है। लगभग एक लाख किसान पहले ही इस योजना से लाभान्वित हो चुके हैं।

अधिकारियों का दावा है कि इससे राज्य के डिस्कॉम घाटे को कम करने में मदद मिल सकती है, जो कथित तौर पर 90,000 करोड़ रुपये से अधिक है, जो मुख्य रूप से उच्च लागत वाली ताप विद्युत खरीद के कारण है।

भाषा कुंज नोमान अनुराग पाण्डेय

पाण्डेय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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