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बुधवार, 18 जून, 2025
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राजस्थान की डिस्कॉम पीपीपी मॉडल के जरिये पारेषण घाटे को कम कर सकती हैं: विशेषज्ञ

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जयपुर, 14 फरवरी (भाषा) राजस्थान की बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के जरिये अपने मौजूदा 15-20 प्रतिशत के पारेषण घाटे को कम कर सकती हैं।

टाटा पावर के सीईओ और प्रबंध निदेशक प्रवीर सिन्हा ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि राज्य ओडिशा के सफल मॉडल से प्रेरणा ले सकता है, जिसने सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिये दक्षता में सुधार किया, घाटे को कम किया और उपभोक्ता संतुष्टि को बढ़ाया है।

उन्होंने कहा, ”ओडिशा ने पिछले पांच वर्षों में अपने पारेषण (एटीएंडसी) घाटे को औसतन 11 प्रतिशत कम किया है। उनकी सफलता को बिजली मंत्रालय की राष्ट्रीय डिस्कॉम रैंकिंग में मान्यता दी गई है। राजस्थान उनकी सफलता से प्रेरणा ले सकता है।”

उन्होंने बताया कि इस परिवर्तन के पीछे एक प्रमुख कारक बुनियादी ढांचे, नेटवर्क विस्तार और प्रौद्योगिकी एकीकरण में 4,200 करोड़ रुपये का निवेश है। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर तैयार करने के साथ बिजली वितरण प्रणाली मजबूत हुई।

सिन्हा ने बताया कि राजस्थान में पहले से ही अजमेर में बिजली वितरण में सफल निजी भागीदारी का एक उदाहरण है, जहां औसत तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान 17 प्रतिशत से घटकर आठ प्रतिशत हो गया है। साथ ही सेवा को लेकर भरोसा बढ़ने से उपभोक्ता आधार 1.34 लाख से बढ़कर 1.68 लाख हो गया है।

भाषा कुंज खारी पाण्डेय

पाण्डेय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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