नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) रेलवे ट्रैक से जुड़े बुनियादी ढांचे में वित्त वर्ष 2008-19 के दौरान 2.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश करने के बावजूद अपनी परिवहन व्यवस्था के परिणाम में सुधार करने में विफल रहा है।
देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने संसद में बुधवार को पेश रिपोर्ट में यह बात कही। इसमें यह भी कहा गया है कि रेलवे की ‘मिशन रफ्तार’ योजना भी ट्रेनों की गति बढ़ाने में विफल रही।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘भारतीय रेलवे ने ट्रैक को बेहतर बनाने के इरादे से संबंधित बुनियादी ढांचे में 2.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। लेकिन इसके बावजूद वह अपनी परिवहन व्यवस्था के परिणाम में सुधार करने में विफल रहा है। वित्त वर्ष 2016-17 में मिशन रफ्तार शुरू किया गया। इसके तहत 2021-22 तक मेल/एक्सप्रेस की औसत गति 50 किलोमीटर प्रति घंटा और मालगाड़ियों की 75 किलोमीटर प्रति घंटा करने का लक्ष्य था। लेकिन मेल/एक्सप्रेस और मालगाड़ियों की औसत गति 2019-20 में क्रमश: 50.6 किलोमीटर प्रति घंटा और 23.6 किलोमीटर प्रति घंटा ही आंकी गई।’’
इसमें यह भी कहा गया है कि 478 सुपरफास्ट ट्रेनों में 123 यानी 26 प्रतिशत की गति निर्धारित 55 किलोमीटर प्रति घंटे से भी कम थी।
कैग ने यह भी कहा कि ‘डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया’ (डीएफसीसीआईएल) विश्व बैंक के कोष का पूर्ण रूप से उपयोग नहीं कर सकी। इसके परिणामस्वरूप 16 करोड़ रुपये के प्रतिबद्धता शुल्क का भुगतान किया गया जिससे बचा जा सकता था।
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रमण अजय
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