(छठे और सातवें पैरा में सुधार के साथ रिपीट)
नयी दिल्ली, 29 अप्रैल (भाषा) उद्योग निकाय फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एफएसआईआई) ने मंगलवार को पंजाब सरकार के संकर धान के बीजों पर प्रतिबंध लगाने के मामले में केंद्र से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। साथ ही खरीफ की बुवाई के मौसम के करीब आने पर किसानों की आय में भारी कमी आने की चेतावनी दी।
एफएसआईआई के चेयरमैन अजय राणा ने कहा कि सात अप्रैल को लगाए गए प्रतिबंध से किसानों की आय में प्रति एकड़ 8,000-10,000 रुपये की कमी आ सकती है।
राणा ने एक बयान में कहा, ‘‘इन बीजों पर रोक लगाकर राज्य सरकार प्रभावी रूप से एक छोटे किसान की लगभग एक महीने की आय को खत्म कर रही है।’’
पंजाब सरकार ने भूजल में कमी की चिंताओं और कथित खराब मिलिंग रिकवरी (प्राप्ति) का हवाला देते हुए संकर चावल की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि, एफएसआईआई ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि संकर किस्में अधिक उपज देती हैं, पानी की बचत करती हैं और पराली जलाने में कमी लाती हैं।
राणा ने कहा, ‘‘एफएसआईआई ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, आईसीएआर बहु-स्थानीय परीक्षणों और आईआरआरआई अनाज गुणवत्ता प्रयोगशाला से मिलिंग के परिणाम प्रस्तुत किए हैं।
उद्योग संगठन ने पंजाब के अधिकारियों और केंद्रीय कृषि मंत्रालय से संपर्क किया है। इसने पांच साल पहले संकर बीजों पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश को चुनौती देने के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। उस मामले की सुनवाई बुधवार को होनी है।
न्यायमूर्ति कुलदीप तिवारी ने इस मामले में राज्य सरकार से प्रतिबंध के कानूनी आधार को उचित ठहराने के लिए कहा है।
राणा ने तर्क दिया कि बीज अधिनियम, 1966 और बीज नियंत्रण आदेश, 1983 के प्रावधानों के तहत, राज्य केंद्र के अनुमोदन वाले बीजों पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते हैं।
प्रतिबंध ने उन किसानों के लिए अनिश्चितता पैदा कर दी है जो संकर चावल की किस्मों पर निर्भर हैं।
भाषा राजेश राजेश रमण
रमण प्रेम
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