नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) सरकार ने डिजिटल निजी आंकड़ा संरक्षण विधेयक 2022 के प्रस्तावित मसौदे के तहत प्रावधानों का उल्लंघन करने पर जुर्माने की राशि बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये तक कर दी है।
निजी आंकड़ा सरंक्षण विधेयक के 2019 में जारी मसौदे में जुर्माने की राशि 15 करोड़ रुपये या किसी भी कंपनी के वैश्विक कारोबार का चार फीसदी रखना प्रस्तावित था।
मसौदा विधेयक में कहा गया, ‘‘इस विधेयक का उद्देश्य डिजिटल निजी आंकड़ों का प्रसंस्करण कुछ इस प्रकार से करने की व्यवस्था देना है जिससे कि अपने निजी आंकड़ों की रक्षा करने का लोगों का अधिकार कायम रहे। साथ ही निजी आंकड़ों का प्रसंस्करण कानूनी उद्देश्यों के अलावा किसी और काम के लिए नहीं किया जाए।’’
प्रस्तावित विधेयक आंकड़ा संरक्षण विधेयक के स्थान पर लाया गया है जिसे सरकार ने इस वर्ष अगस्त में वापस ले लिया था।
मसौदा विधेयक के तहत भारतीय आंकड़ा संरक्षण बोर्ड की स्थापना करना प्रस्तावित है जो विधेयक के अनुरूप काम करेगा। इसमें कहा गया, ‘‘जांच के निष्कर्ष में बोर्ड को ऐसा पता चलता है कि बहुत अधिक उल्लंघन किया गया है तो व्यक्ति को सुनवाई का समुचित अवसर देने के बाद वित्तीय जुर्माना लगाया जा सकता है जो प्रत्येक मामले में 500 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए।’’
आंकड़ों का प्रसंस्करण करने वाली इकाई अपने नियंत्रण या अधिकार में मौजूद निजी जानकारी या आंकड़ों की सेंधमारी के खिलाफ संरक्षण करने में नाकाम रहती है तो उस पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
इसके अलावा यदि आंकड़ों का प्रसंस्करण करने वाली इकाई आंकड़ों में सेंधमारी की घटना के बारे में आंकड़ों के मालिक और बोर्ड को सूचित नहीं करती है तो उस स्थिति में उस पर 200 करोड़ रुपये का अर्थदंड लगाने का प्रस्ताव भी है।
इस मसौदे पर संबंधित पक्षों से 17 दिसंबर तक सुझाव मांगे गये हैं।
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