नयी दिल्ली, सात जून (भाषा) भांडागारण विकास एवं विनियामक प्राधिकरण (डब्ल्यूडीआरए) के चेयरमैन टी के मनोज कुमार ने मंगलवार को कहा कि प्राधिकरण कृषि भंडारण से जुड़े नियामकीय बोझ को कम करने की प्रक्रिया में है क्योंकि इसमें अभी और सुधार की गुंजाइश है।
कुमार ने ‘भारत में कृषि भंडारण: रुझान, बाधाएं और नीतियां’ शीर्षक वाली एक रिपोर्ट जारी करने के बाद कहा, ‘‘वेयरहाउसिंग का ताल्लुक सिर्फ भंडारण से ही नहीं है। यह कुछ अन्य सहयोगियों से भी जुड़ा हुआ है। निश्चित रूप से भंडारण क्षेत्र को बेहतर बनाने की गुंजाइश है।’’
उन्होंने कहा कि भंडार गृह परिचालकों को बीमा से संबंधित मुद्दों का भी सामना करना पड़ता है। इसी तरह के कुछ नियामकीय बोझ को कम करने के लिए डब्लूडीआरए लगातार प्रक्रिया का पालन कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम भंडार गृह परिचालकों पर नियामकीय बोझ कम करने के लिए निरंतर प्रक्रिया में हैं।’’
कृषि उत्पादों की भंडारण सुविधाओं में सुधार के लिए हाल ही में उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कुमार ने कहा कि गोदाम रसीदों का डिजिटलीकरण शुरू किया गया है जिससे किसान गोदामों में रखी गई अपनी कृषि उपज के एवज में बैंक ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक गोदाम जमा रसीदों को गिरवी रखकर ऋण देने में बैंक खासी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में बैंकों ने 1,400 करोड़ रुपये का ऋण दिया था जबकि चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में ही यह 500 करोड़ रुपये हो चुका है।
डब्ल्यूडीआर प्रमुख ने कहा कि देशभर में करीब 40,000 भंडार गृह मौजूद हैं लेकिन इनमें से सिर्फ 2,750 गोदाम ही अभी तक प्राधिकरण के साथ पंजीकृत हुए हैं। उन्होंने कहा कि डब्लूडीआरए के साथ पंजीकृत होने वाले गोदामों की संख्या धीरे-धीरे लेकिन लगातार बढ़ रही है।
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