नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति के तहत एक समग्र कार्ययोजना जारी करेंगे जिसमें लॉजिस्टिक लागत घटाने और रोजगार बढ़ाने पर जोर रहेगा।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इस नीति से लॉजिस्टिक लागत को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 13 प्रतिशत से कम कर 7.5 प्रतिशत पर लाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा आने वाले वर्षों में इससे बड़े पैमाने पर रोजगार भी पैदा होगा।
इस लॉजिस्टिक नीति को देश में प्रौद्योगिकी समर्थित, एकीकृत, किफायती, टिकाऊ और विश्वसनीय लॉजिस्टिक पारिस्थितिकी के निर्माण को ध्यान में रखते हुए आकार दिया गया है। इससे उत्पादों के आवागमन से जुड़ी व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने और डिजिटलीकरण एवं कौशल विकास में मदद मिलेगी।
अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति को कार्यरूप देने के लिए एक समग्र योजना भी जारी की जाएगी जिसमें डिजिटल लॉजिस्टिक प्रणालियों के एकीकरण, भौतिक परिसंपत्तियों के मानकीकरण और सेवा गुणवत्ता संबंधी मानकों को तय करने पर जोर रहेगा। इसमें लॉजिस्टिक पार्कों के विकास से जुड़े प्रावधान भी शामिल किए जाएंगे।
मानव संसाधन विकास के लिए उच्च शिक्षा में मुख्यधारा की लॉजिस्टिक गतिविधियों को जगह देने और ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम पर खास जोर दिया जाएगा। इसके लिए एक कार्यबल भी गठित किया जा सकता है।
अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री गतिशक्ति मिशन के तहत गठित सचिवों का अधिकार-प्राप्त समूह इस नीति के क्रियान्वयन की निगरानी करने के साथ उसकी समीक्षा भी करेगा।
भारत में लॉजिस्टिक पर आने वाली ऊंची लागत की वजह से आंतरिक एवं विदेशी व्यापार दोनों पर असर पड़ता है। दरअसल भारत में कोई एक मंत्रालय इसकी निगरानी नहीं करता है। सड़क परिवहन, रेलवे, पोत-परिवहन, नागर विमानन, डाक और उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय इससे जुड़ी गतिविधियों का नियमन करते हैं।
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