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Monday, 14 April, 2025
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अनाज से तैयार एथनॉल के लिए मूल्य निर्धारण समायोजित करने की जरूरत: रिपोर्ट

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नयी दिल्ली, 11 अप्रैल (भाषा) भारत को मक्का उत्पादन बढ़ाना चाहिए और ईंधन मिश्रण की पूरी क्षमता को सामने लाने के उद्देश्य से अनाज से तैयार एथनॉल के लिए अधिक गतिशील मूल्य निर्धारण शुरू करना चाहिए। एक नई रिपोर्ट में यह कहा गया है।

‘किसानों के लिए 35,000 करोड़ रुपये का लाभ: अनाज से तैयार एथनॉल की अप्रयुक्त क्षमता’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से क्षतिग्रस्त, टूटे और अधिशेष चावल की निर्बाध आपूर्ति और डिस्टिलर के सूखे अनाज के साथ घुलनशील (डीडीजीएस) पदार्थ के लिए घरेलू बाजार का विस्तार करने का भी आह्वान करती है।

मक्के की बढ़ती कीमतों ने एथनॉल उत्पादन को महंगा और कम प्रतिस्पर्धी बना दिया है, जिससे इस क्षेत्र में निवेश हतोत्साहित हो सकता है।

प्रबंधन परामर्श फर्म प्राइमस पार्टनर्स और ग्रेन एथनॉल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (जीईएमए) की रिपोर्ट में उच्च उपज वाले बीज, उर्वरक और सिंचाई बुनियादी ढांचा प्रदान करके किसानों को मक्का की खेती में स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित करने की सिफारिश की गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एथनॉल आपूर्ति वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) में अनाज एथनॉल उत्पादकों को नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि मक्का की बढ़ती लागत के बावजूद खरीद मूल्य अपरिवर्तित रहे, जिससे ‘‘इस उभर रहे उद्योग की उद्यमशीलता की भावना को नुकसान पहुंचा।’’

इसमें मक्के के उत्पादन में वृद्धि होने तक क्षतिग्रस्त और अधिशेष एफसीआई चावल को वैकल्पिक कच्चे माल के रूप में उपयोग करने का सुझाव दिया गया है, जिसमें एथनॉल उत्पादन के लिए अधिशेष चावल के उपयोग पर ‘स्पष्ट, पूर्वानुमानित नीतियों’ का आह्वान किया गया है।

नीति आयोग के अनुसार, वर्ष 2030 तक पेट्रोल की मांग सालाना 5,785 करोड़ लीटर तक पहुंचने की उम्मीद है।

उस वर्ष तक 30 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण के सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगभग 1,735.5 करोड़ लीटर एथनॉल की आवश्यकता होगी, जिससे संभावित रूप से कुल मिलाकर वार्षिक उत्सर्जन में 347.1 लाख टन की कमी आएगी और अकेले अनाज से तैयार एथनॉल से 197.85 लाख टन की कमी आएगी।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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